चैती छठ महापर्व आज शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म में छठ पूजा बेहद ही खास है. छठ पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. कार्तिक महीने में होने वाला छठ पर्व को कार्तिकी छठ के नाम से जाना जाता है. वहीं चैत्र माहीने में आने वाली छठ महापर्व चैती छठ कहा जाता है. इस बार का चैती छठ का आज 12 अप्रैल से शुभारंभ हो गया है. छठ पर्व 4 दिनों का होता है. पहला दिन यानी आज 12 अप्रैल को नहाय खाय होता है. दूसरा दिन 13 अप्रैल को खरना होगा. तीसरा दिन 14 अप्रैल संध्या अर्घ्य और चौथा यानी पर्व का अंतिम दिन 15 अप्रैल को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य होगा. छठ पर्व का हर एक दिन खास महत्व रखता है.
चैती छठ पर्व का महत्व
चैती छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है. ये पूजा महिलाएं संतान प्राप्ति और परिवार के कल्याण के लिए करती हैं. इसके साथ ही घर में खुशहाली, सुख, समृद्धि की भी कामना करती है. छठ केवल एक पर्व नहीं बल्कि महापर्व है, जो पूरे चार दिन तक चलता है. नहाए-खाए से इस पर्व की शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न होती है.
नहाय खाय
नहाय खाय जो की नाम से ही स्पष्ट है -स्नान करके भोजन करना. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं. इसके बाद चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस भोजन से साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. इस दिन साफ-सफाई का भी खास ध्यान रखा जाता है. भोजन बनाने से पहले स्नान करके हाथों को साफ करके ही खाना बनाते हैं.
खरना
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है. खरना में मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है. इस दिन घर की महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं. शाम में पूजा करती है, जिसमें प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है. व्रती सूर्य देव को जल देकर ही इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं. इसके बाद ही बाकी सदस्यों में इसे बांट दिया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि छठ पर्व की असली शुरुआत इसी दिन से होती है.
संध्या अर्घ्य
संध्या अर्घ्य छठ पर्व के तीसरे दिन आता है. इस दिन व्रती के साथ परिवार के सभी सदस्य नदी या तालाब जाते है. इस दिन व्रती डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देती है. इस दिन साधक पूरे दिन का व्रत रखते हैं. इस दिन विशेष प्रसाद जिसे ठेकुआ के नाम से जाना जाता है. यह चावल, दूध और गुड़ से बना एक मीठा भोग है.
उषा अर्घ्य
यह छठ पर्व का चौथा और अंतिम दिन है. इस दिन व्रती प्रात: उगते सूर्य को अर्घ्य देती है. इसी के साथ छठ पर्व संपन्न होता है.