पटना: आस्था और विश्वास का महापर्व छठ विशेष रुप से उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल, बिहार और झारखंड में साल में दो बार मनाया जाता है. सनातन धर्म में छठ का बड़ा विशेष महत्व है. साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है. पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में. आज से चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान चैत्र शुक्ल चतुर्थी नहाय-खाय से शुरू हो रहा है.
छठ करने वाले व्रती आज पवित्र गंगा नदी, जलाशय या अपने घरों में गंगाजल मिलाकर स्नान, पूजा के बाद प्रसाद के रूप में अरवा चावल, सेंधा नमक से निर्मित चना की दाल, लौकी की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लेंगी. शनिवार यानी 13 अप्रैल को खरना से होगी 36 घंटे का निर्जला व्रत की शुरुआत.
पंचांग के अनुसार चैती छठ का पर्व 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच मनाया जाएगा; जिसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ शुरू हो गई है. 14 अप्रैल रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को छठव्रती अर्घ्य अर्पित करेंगे. शाम 5:20 से लेकर 5:55 बजे तक अर्घ्य अर्पण करने का शुभ समय होगा. इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर या ईंट के चूल्हे पर छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है. ठेकुआ तैयार किया जाता है और उसके बाद ऋतु के अनुसार फल का दउरा तैयार किया जाता है और शाम होने के साथ छठ वर्ती के साथ-साथ पूरे परिवार छठ घाट पर पहुंचते हैं. दूसरे दिन सुबह 15 अप्रैल सोमवार को छठ वर्ती उदयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगी. इसके साथ ही महापर्व का समापन हो जाएगा. सुबह 5:45 से लेकर के 5:55 बजे तक सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार