डीआरडीओ ने ओडिशा के तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-प्राइम का सफल उड़ान परीक्षण किया.
सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर कल शाम लगभग 7:00 बजे ओडिशा के तट पर स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परमाणु हथियार ले जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-प्राइम का सफल परीक्षण किया. टर्मिनल बिंदु पर रखे गए दो डाउनरेंज जहाजों सहित विभिन्न स्थानों पर तैनात कई रेंज सेंसर द्वारा कैप्चर किए गए डेटा से पुष्टि की गई कि परीक्षण ने अपने विश्वसनीय प्रदर्शन को मान्य करते हुए सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया.
लॉन्च के मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड के प्रमुख, डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, एसएफसी और सशस्त्र बलों को बधाई दी और कहा कि मिसाइल का सफल विकास और अधिष्ठापन होना भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा.
क्या हैं Agni-Prime मिसाइल की विशेषताएं?
अग्नि-पी या अग्नि-प्राइम एक दो चरणों वाली, सतह से सतह तक मार करने वाली, कनस्तर से लॉन्च की जाने वाली और ठोस ईंधन वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा अग्नि श्रृंखला में छठी मिसाइल के रूप में विकसित किया गया है.
इस मिसाइल को हल्के धातू से बनाया गया है इसका वजन 11 हजार किलो है और यह सॉलिड फ्यूल से उड़ने वाली है. इस मिलाइल को 34.5 फीट लंबी है. और इस पर एक या मल्टीपल इंडेपेंडटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल यानी (MIRV) वॉरहेड लगा सकते हैं. यानी इससे एकसाथ कई टारगेट्स पर हमला किया जा सकता है. यहीं नहीं यह मिसाइल उच्च तीव्रता वाले विस्फोटक, थर्मोबेरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. मिसाइल की नाक पर 1500 से 3000 kg वजन के वॉरहेड लगाया जा सकता है. इस मिसाइल को बीईएमएल-टट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है.