GST कलेक्शन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल सकल जीएसटी संग्रह 20 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया है. इसी के साथ ये एक मील का पत्थर साबित हुआ. वित्त मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी.
वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल सकल जीएसटी संग्रह 20.19 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11.7 प्रतिशत अधिक है.
मंत्रालय के अनुसार मार्च 2024 में समाप्त हुए इस वित्तीय वर्ष का औसत मासिक संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के औसत 1.5 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है.
चालू वित्त वर्ष के लिए मार्च 2024 तक रिफंड का जीएसटी राजस्व शुद्ध 18.01 लाख करोड़ रुपये है, जिसने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च 2024 में सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व में साल-दर-साल 11.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.78 लाख करोड़ रुपये का अब तक का दूसरा सबसे बड़ा संग्रह देखा गया.
यह उछाल घरेलू लेनदेन से जीएसटी संग्रह में 17.6 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि से प्रेरित था. मार्च 2024 के लिए रिफंड का जीएसटी राजस्व शुद्ध 1.65 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 18.4 प्रतिशत की वृद्धि है.
मार्च 2024 में, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) 34,532 करोड़ रुपये था, और राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) 43,746 करोड़ रुपये था.
एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) 87,947 करोड़ रुपये था, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 40,322 करोड़ रुपये शामिल थे.
पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 के संग्रह में इसी तरह के सकारात्मक रुझान देखे गए हैं. इसमें-
- केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी)- 375,710 करोड़ रुपये रहा,
- राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी)- 4,71,195 करोड़ रुपये,
- एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी)- 10,26,790 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 4,83,086 करोड़ रुपये शामिल हैं
- उपकर 1,44,554 करोड़ रुपये, जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 11,915 करोड़ रुपये शामिल हैं.
पूरे वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल सकल जीएसटी संग्रह 18.10 लाख करोड़ रुपये रहा और पूरे वर्ष का औसत सकल मासिक संग्रह 1.51 लाख करोड़ रुपये है. 2022-23 में सकल राजस्व वार्षिक आधार पर 22 प्रतिशत अधिक था.
पिछले कुछ वर्षों में कर आधार बढ़ाने और अनुपालन में सुधार के लिए विभिन्न प्रयास किए गए हैं.
1 जुलाई, 2017 से देश में वस्तु एवं सेवा कर लागू किया गया था, और राज्यों को जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान के लिए मुआवजे का आश्वासन दिया गया था. 2017 पांच साल की अवधि के लिए.