संपूर्ण क्रांति के 50 वर्ष पूरे हो गए. आज ही के दिन बिहार के पटना जिले में छात्र आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इस आंदोलन की शुरुआत जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में की गई थी. 18 मार्च 1974 को कांग्रेस सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन का बिगुल फूंका था. यह आंदोलन लगभग 1 वर्ष तक चला.
क्या हुआ था 18 मार्च 1974 को?
इस दिन पटना में छात्रों और युवकों ने एक आंदोलन की शुरुआत की थी. इसी दिन विधानमंडल की सत्र शुरू होने वाली थी. इस सत्र में राज्यपाल दोनों सदनों के संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले थे. आंदोलनकारियों द्वारा रणनीति यह बनी थी कि राज्यपाल को विधानमंडल भवन में जाने से पहले उन्हें रोककर उनका घेराव करेंगे. योजना की जानकारी मिलने पर सत्ताधारी विधायक सुबह 6:00 बजे ही विधानमंडल पहुंच गए थे. वहीं दूसरी ओर विपक्षी विधायकों ने राज्यपाल के भाषण का बहिष्कार किया था. राज्यपाल आर. डी. भंडारे किसी भी तरह से विधानमंडल पहुंचने का प्रयास कर रहे थे.
आंदोलनकारी छात्रों ने राज्यपाल की गाड़ी को रास्ते में रोक दिया. पुलिस प्रशासन ने छात्रों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे लोग नहीं रूके, जिसके बाद पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी. उस वक्त पटना विश्वविद्यालय के छात्र नेता लालू प्रसाद यादव भी आंदोलन में शामिल थे. लाठीचार्ज करने के बाद आंदोलन और भड़क उठा, प्रसाशन ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े. हर तरफ लूटपाट और आगजनी की घटना होने लगी. इस घटना में कई छात्र भी मारे गए.
आंदोलन की कमान संभालने के लिए जय प्रकाश नारायण की मांग जोरो-शोरो से होने लगी. जयप्रकाश नारायण ने पहले अपनी रखी कि आंदोलन में कोई भी व्यक्ति किसी भी पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए. छात्रों ने जेपी की बात मानते हुए राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए तमाम छात्रों ने इस्तीफा दे दिया और जेपी के साथ आ गए.
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