मधुबनी: जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, लगमा में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन शनिवार को हुआ. सम्मेलन का विषय ”भारतीय ज्ञान परम्परायां कालिदासः” पर केंद्रित रहा. सेमिनार का आरंभ वेद विभागाध्यक्ष डा कृष्णमोहन झा के वैदिक मगलाचरण से शुरू हुआ. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सदानन्द झा के सफल संयोजन में आयोजित सेमिनार में नामचीन विशिष्ट विद्वानों ने भाग लिया.
केएसडीएस विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति डाॅ. लक्ष्मी निवास पाण्डेय की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कालिदास के कृतित्व की वृहत चर्चा की।कार्यक्रम का उद्घाटन डाॅ. इन्द्रनाथ झा ने किया.
सेमिनार में प्रो कमलेश कुमार ने अपने ओजस्वी व्याख्यान से ज्ञान और अर्थ के संदर्भ में स्वकीया और परकीया शब्द पर सम्यक रूप से निरूपण वर्णन किया.
केएसडीएस दरभंगा के कुपलति प्रो लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने संस्कृत शिक्षा की अनिवार्यता पर विशेष प्रकाश डाला. प्रो इन्द्रनाथ झा ने कहा कि संस्कृत ज्ञान से सम्यक रूप से संस्कृति का विकास होता है. पूर्व कुलपति डॉ. शशिनाथ झा ने छात्रोपयोगी संस्कृत शिक्षा पर विशेष रूप से प्रकाश डाला.
प्राचार्य डा सदानन्द झा ने कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीनिवास बरखेरी के निर्देशन पर आगे भी महाविद्यालय में इस तरह के कार्यक्रम होते रहेंगे. मंच संचालन साहित्य सहायकाचार्य डा राघव कुमार झा ने किया. सेमिनार में डा नागेंद्र झा, लाल चौधरी, मनीष मिश्र, अभय चौधरी व काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थिति रहीं.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार