इस्लामोफोबिया को लेकर पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार (15 मार्च) को एक प्रस्ताव पेश किया था. अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर पाक के द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 115 सदस्यों से वोट किया. विपक्ष में किसी ने भी वोट नहीं किया.
हालांकि, 44 सदस्य अनुपस्थित रहे तो वहीं भारत ने इस मुद्दे को लेकर मतदान करने से ना सिर्फ परहेज किया बल्कि इस्लामोफोबिया की जगह हर धर्म के धार्मिक फोबिया का मुद्दा उठा दिया. UN में भारत की स्थायी राजदूत रुचिरा कंबोज ने पाकिस्तान के प्रस्ताव पर मतदान न करने को लेकर दलील दिया और साथ ही साथ ये भी कहा कि भारत हर तरह के धार्मिक फोबिया का विरोध करता है और उसके खिलाफ खड़ा है.
‘धार्मिक फोबिया सिर्फ अब्राहमिक धर्मों तक ही सीमित नहीं’- रुचिरा कंबोज
रुचिरा कंबोज ने UN में पाक के प्रस्ताव के खिलाफ कहा कि ऐसी मिसाल नहीं कायम करना चाहिए जिससे सिर्फ खास धर्मों का धार्मिक फोबिया वाले प्रस्ताव सामने आएं क्योंकि इस तरह के प्रस्ताव संभावित रूप से UN को धार्मिक कैंप में विभाजित कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत तो अनेकवाद का चैंपियन है. इस दुनिया में जिस किसी को भी उसके धर्म के खिलाफ अत्याचार सहना पड़ा है उसे हमने ही शरण दी है.
हमारा देश सर्व धर्म समभाव के सिद्धांत में विश्वास करता है और ये चीज हमारी संस्कृति में ही नहीं संविधान तक में भी दिखती है. रुचिरा ने कहा कि भारत धर्म के आधार पर हिंसा और भेदभाव का विरोध करता है. हमारा देश अब्राहमिक धर्मों (यहूदी, ईसाई और मुस्लिम) की फोबिया की निंदा करता है लेकिन ये बात भी मानना चाहिए कि ये धार्मिक फोबिया सिर्फ अब्राहमिक धर्मों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि उससे भी आगे बढ़ चुके हैं.
रुचिरा ने कहा कि दशकों से ऐसे सबूत सामने आ रहे हैं जिसे देखकर पता चलता है कि गैर अब्राहमिक धर्म भी धार्मिक फोबिया से प्रभावित हुए है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मंदिर, मोनेस्ट्री और गुरुद्वारा पर हुए हमले हैं. इतना ही नहीं कई देशों में तो गैर अब्राहमिक धर्मों के खिलाफ गलत जानकारी तक दी गई. रुचिरा कंबोज ने कहा कि बामियान बुद्ध का ध्वंस, मंदिरों पर हमले, मूर्तियों को तोड़ना और सिखो का नरसंहार गैर अब्राहमिक धर्मों के खिलाफ फोबिया को दर्शाता है.