भारत ने सोमवार को मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित परमाणु सक्षम बैलिस्टिक अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण किया है. चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है.
DRDO द्वारा निर्मित मिशन दिव्यास्त्र देश में ही विकसित हाइली एडवांस्ड वेपन सिस्टम है. आइए जानते हैं भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी दूसरे महाद्वीप तक निशाना लगाने में सक्षम अग्नि-5 के बारे में…
अग्नि V मिसाइल सरफेस टू सरफेस मार करने वाली भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. ये 5000 किमी से ज्यादा दूरी तक वार कर सकती है. इसकी रेंज में पूरा चीन आएगा. चीन के अलावा मिसाइल की जद में यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से भी आएंगे.
ये मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल व्हीकल (MIRV) से लैस है यानी एक साथ मल्टीपल टार्गेट के लिए लॉन्च की जा सकती है. इस खासियत के मायने ये हुए कि एक दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर मौजूद कई टारगेट्स को एक ही मिसाइल के जरिए तबाह किया जा सकता है. एक ही टारगेट पर मल्टीपल वॉरहेड को एक बार में लॉन्च भी किया जा सकता है.
ये मिसाइल डेढ़ टन तक का न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जाने में सक्षम है. इसकी स्पीड मैक 24 है, मतलब आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा. अग्नि-5 के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इस वजह से इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है.
इस समय भारत के अलावा दुनिया के सिर्फ आठ देशों के पास इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हैं. इनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन, चीन और उत्तर कोरिया शामिल हैं.
अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने बनाया है. ये भारत के पास मौजूद लंबी दूरी पर मार करने वाली मिसाइलों में से एक है. रेंज 5 हजार किलोमीटर है. अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है. इस्तेमाल भी बेहद आसान है, इस वजह से देश में कहीं भी इसकी तैनाती की जा सकती है.