सोमवार (11 मार्च) की शाम भारत सरकार की ओर से केंद्र में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. इस कानून से देश भर में मौजूद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों, जिसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को केंद्र सरकार भारतीय नागरिकता देगी. हालांकि, इस कानून के दायरे से कुछ राज्यों को अलग रखा गया है. चलिए जानते हैं कौन हैं ये राज्य और क्यों मिली है इन्हें CAA से छूट.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सीएए को पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में लागू होगा. इनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं. जानकारी के अनुसार, लागू हुए सीएए कानून को उन सभी पूर्वोत्तर राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा जहां देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को यात्रा के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ (ILP) की आवश्यकता होती है.
ILP अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है. नियमों के अनुसार जिन जनजातीय क्षेत्रों में संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदें बनाई गई हैं, उन्हें भी सीएए के दायरे से बाहर रखा गया है. असम, मेघालय और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें हैं.
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये शरणार्थियों को सबसे पहले खुद को इन 3 देशों में से किसी का निवासी साबित करना होगा. इसके लिए वह वहां के पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, वहां के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, वहां की सरकार की तरफ से जारी किए गए किसी भी तरह के प्रमाण पत्र या लाइसेंस, जमीन के दस्तावेज समेत कुछ भी ऐसे कागज दिखाने पड़ेंगे, जिससे यह साबित हो सके कि वह पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगनिस्तान के प्रताड़ित गैर मुस्लिम शरणार्थी हैं.