प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार (9 मार्च) को अपने नॉर्थ ईस्ट के दौरे के दूसरे दिन अरुणाचल प्रदेश में कई जरूरी काम किए हैं. इस बीच उन्होंने हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देते हुए दुनिया की सबसे ऊंचाई वाली जगह (13 हजार फीट) पर बनी सबसे लंबी सुरंग सेला सुरंग का भी उद्घाटन किया. डबल लेन वाली इस सुरंग को सामरिक रूप से काफी खास माना जा रहा है. आईए जानते हैं कि अरुणाचल ही नहीं पूरे भारत के लिए यह टनल क्यों खास महत्व रखती है.
सेला सुरंग की विशेषताएं
आपको बता दें कि इस टनल की कुल लंबाई 11.84 किलोमीटर है जोकि दो लेन की सुरंग है. इसमें कई रास्ते हैं, सबसे पहले पश्चिम कमिंग जिले (बैसाखी) की तरफ 7.2 किलोमीटर चलने के बाद हम टनल-1 में प्रवेश करते हैं. जिसकी लंबाई तकरीबन 1 किलोमीटर है. इसके बाद एक 1.2 किलोमटर लंबी सड़क है. इसके बाद टनल-2 की तरफ जाते हैं. इसकी लंबाई 1.591 किलोमीटर है. सुरंग से निकलते ही तीसरी सड़क नूरानंग की तरफ जाती है, इस सड़क की लंबाई 770 मीटर है.
किन मायनों में खास है ये प्रोजेक्ट?
1. बता दें कि सेला टनल 13,500 फीट की ऊंचाई पर बनी हुई है जोकि दुनिया की सबसे बड़ी सुरंग है.
2. यह दो लेन की ऑल वेदर टनल है जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामिंग और तवांग जिले को जोड़ने का काम करेगी.
3. इस टनल की कुल लंबाई है 11.84 किलोमीटर है, जोकि काफी ज्यादा है.
4. दूसरी सुरंग 993 मीटर लंबी है. वहीं कई मीटर लंबा ट्विन ट्यूब चैनल भी तैयार किया जा रहा है.
5. मुख्य सुरंग के साथ इसी की तर्ज पर एक और सुरंग का निर्माण किया गया है, जिसका इस्तेमाल इमरजेंसी के समय में किया जाएगा.
6. ये एक ऑल वेदर सुरंग है, जिसका मतलब है कि इस टनल पर बर्फबारी का कोई असर नहीं होगा.
7. इस टनल पूरी तरह स्वदेशी और पूरी तरह से लेटेस्ट व एडवांस टेक्नॉलोजी का प्रयोग करके बनाया गया है.
8. प्रॉजेक्ट के तहत दो सड़कें बनाई गई हैं. जोकि लोगों को काफी आराम देंगी इससे ट्रेफिक जाम भी नहीं लगेगा.
9. ये टनल अरूणाचल प्रदेश में लगभग छह किलोमीटर की दूरी को कम करने का काम करेगी.
10. इस टनल का इस्तेमाल करने वालों को डेढ़ घंटे से दो घंटे तक के समय की होगी बचत
टनल का सामरिक और रणनीतिक महत्व
1. सेला सुरंग अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग तवांग को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ेगी जोकि सामरिक दृष्टि से जरूरी है.
2. इस सुरंग के जरिए तवांग सेक्टर में एलएसी तक पहुंचने का एक मात्र रास्ता है.
3. ऑल वेदर होने की वजह से हर मौसम में खुली रहेगी जोकि आम लोगों के साथ भारतीय सेना की भी मदद करेगी.
4. इससे सेना जल्दी से अग्रिम चौकियों तक पहुंच सकेंगी, साथ ही चीन के अवैध कब्जों को रोकने में मदद करेगी.
5. इसके निर्माण में कुल अनुमानित लागत 647 करोड़ रुपए आई है.