मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आज 73वां जन्मदिन है. एक छोटे से गांव में जन्मे नीतीश कुमार ने छात्र नेता से बिहार के सीएम तक का सफर पूरा किया है. वे पिछले 18 सालों से बिहार के 9 बार मुख्यमंत्री बने. 9वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेकर बड़ा उन्होंने बड़ा रिकॉर्ड बना लिया है. वर्ष 2000 में पहली बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उन्होंने बिहार को बीमार राज्य से बाहर निकाल कर विकास करने वाले राज्य की श्रेणी में खड़ा कर दिया है. नीतीश कुमार अपने फैसलों के कारण चर्चाओं में रहते है.
इंजीनियरिंग से राजनीति का सफर
1972 में, नीतीश कुमार बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से विद्युत इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने बिहार राज्य बिजली बोर्ड में इंजीनियर के रूप में काम किया. इसके कुछ समय बाद ही वे राजनीति में कदम रखें. वर्ष 1990 में बिहार की सत्ता में लालू प्रसाद यादव की एंट्री हुई तो नीतीश कुमार भी उनके साथ थे, लेकिन दोनों के बीच मतभेद होने के बाद बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनानी शुरू की. 2005 में जब दोबारा विधानसभा का चुनाव हुआ तो उसमें नीतीश कुमार को एनडीए को पूर्ण बहुमत मिली और उसके बाद से नीतीश कुमार लगातार 15 वर्षों से मुख्यमंत्री बने हुए हैं.
कभी एनडीए, तो कभी महागठबंधन
2015 में नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई थी. लेकिन 2017 में एनडीए में लौट आए थे. लेकिन 2022 में एक बार फिर से नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और लालू प्रसाद यादव की पार्टी से मिलकर सरकार बना ली. लेकिन इस वर्ष जनवरी में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पाला बदलकर एनडीए में शामिल हो गए. लेकिन लगातार पाला बदलने के कारण उनके धुर विरोधी लालू यादव ने उन्हें पलटूराम का नाम दिया.
पलटू राम से चर्चित
नीतीश कुमार ने 1973 में मंजू देवी के साथ बिना किसी दहेज के विवाह किया था. उनकी शादी कार्ड में लिखा था- ‘तिलक दहेज एवं शोषण युक्त कुप्रथाओं से मुक्त एक आदर्श विवाह. विवाह पूरी सादगी के साथ विवाह अनुबंधक (पटना) के समक्ष होगा. एक आग्रह- पुष्प माला एवं आशीर्वचन के अतिरिक्त किसी प्रकार के उपहार का आदान-प्रदान नहीं होगा.’
नीतीश कुमार का विकास कार्य
मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने बिहार में 2005 से ही विकास कार्यों में जुट गए थे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और उससे भी बढ़कर कानून व्यवस्था में आमूल-चूल सुधार किया. इससे उन्हे सुशासन बाबू का नाम मिला. सड़कों का विकास हुआ. पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण, प्रारंभिक विद्यालयों में महिलाओं को 50% आरक्षण, बालिका साइकिल, पुलिस सेवा, फिर सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण, इंजीनियरिंग मेडिकल कॉलेज में नामांकन में 33% आरक्षण, बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करना जैसे तमाम विकास कार्य किया. बिहार जैसे गरीब राज्य का आर्थिक विकास होने पर नीतीश सरकार के अर्थव्यवस्था की भी तारीफ हुई. बाद में बार-बार गठबंधन बदलने की वजह से उनकी छवि को खराब होती गई.
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश जब रेल मंत्री और कृषि मंत्री थे, तो उन्होंने कई बड़े फैसले लिए थे जो काफी चर्चाओं में रहा. तत्काल रेल टिकट बुकिंग स्कीम, रेलवे में सुरक्षा कोष और कई ट्रेनों की शुरुआत की थी.