स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति और महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज पुण्यतिथि है. बिहार के सारण जिले जन्मे डॉ. राजेंद्र प्रसाद सादगी और ईमानदारी के अवतार थे. 28 फरवरी 1963 को उन्होंने देश को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. राजेंद्र प्रसाद एक राजनीतिज्ञ और वकील थे. उन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपना अहम योगदान दिया. राजेंद्र प्रसाद को लोग राजेंद्र बाबू कहकर बुलाते थे. राजेंद्र बाबू एक बुद्धिमान छात्र, सफल वकील, आदर्श शिक्षक, प्रभावशाली लेखक, गांधीवादी समर्थक और देश प्रेमी थे. राष्ट्रपति बनने के बावजूद भी वे सादे तरीके से रहना पसंद करते थे. उन्होंने अपना सारा जीवन देश की सेवा की और देश को स्वतंत्रता दिलाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. राजेंद्र प्रसाद ने साल 1931 के नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी का पुरजोर समर्थन किया. लेकिन आगे चलकर इसके लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें कैद भी कर लिया था. तो, आईए जानते है उनसे जुड़ी रोचक बातें…
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसम्बर, 1884 में बिहार के सारण जिले के जीरादेयू में हुआ था. राजेन्द्र प्रसाद को अपनी मां और बड़े भाई महेन्द्र प्रसाद से बहुत प्यार था. केवल 12 वर्ष की उम्र में राजवंशी देवी के साथ बाल विवाह हो गया था. पढ़ाई में उनका रुझान बचपन से ही था. राजेंद्र प्रसाद ने 1907 में इकोनॉमिक्स में एम.ए. किया. 1915 में वकालत में मास्टर की डिग्री पूरी की. इसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. इसके बाद ही कानून में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की और इसके बाद पटना में वकालत करने लगे. इससे उन्हें बहुत धन और प्रसिद्धि मिली.
हिन्दी में उन्हें काफी रुची थी. उन्होंने हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में भारत मित्र, भारतोदय, कमला जैसे अनेक लेख लिखे. गांधी जी के प्रभाव में आने के बाद राजेंद्र बाबू ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और कई बार इन्हें जेल जाना पड़ा. 1946 में भारतीय संविधान समिति का अध्यक्ष बनाया गया. राजेन्द्र प्रसाद ने ही संविधान पर हस्ताक्षर करके मान्यता दी. भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 एवं 1947 में कृषि और खाद्यमंत्री की जिम्मेदारी को निभाया था. स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने पर राजेन्द्र प्रसाद को देश का पहला राष्ट्रपति बनाया गया. भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया. 28 फरवरी 1963 को पटना में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का निधन हो गया.
राजेंद्र प्रसाद के प्रेरक कोट्स
1. “हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, हमारे तरीके अंतिम परिणाम की तरह ही स्वच्छ होने चाहिए!”
2. “मनुष्य के पास अब सामूहिक विनाश के हथियार होने से, मानव प्रजाति स्वयं विलुप्त होने के गंभीर खतरे में है.”
3. “मुझे यकीन है कि आपका व्यक्तित्व घायल आत्माओं के उपचार और अविश्वास और भ्रम के माहौल में शांति और सद्भाव की बहाली में सहायता करेगा.”
4. “हमें उन सभी को याद रखना चाहिए जिन्होंने आज़ादी की खातिर अपनी जान दे दी.”
5. “किसी को अपनी उम्र के हिसाब से खेलना सीखना चाहिए.”