प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकास के पथ पर तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है. भारतीय शेयर बाजार नई ऊंचाई छू रहे हैं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ रहा है. भारत में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है, जबकि चीन आर्थिक संकट से जूझ रहा है. चीनी शेयर बाजार मंदी का सामना कर रहे हैं.
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का भविष्य उज्जवल है. नई दिल्ली बीजिंग का ‘वास्तविक विकल्प’ है. वैश्विक निवेशक चीन का विकल्प तलाश रहे हैं, क्योंकि उन्हें कोरोना महामारी के दौरान बाधाओं का सामना करना पड़ा. बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तनाव से उत्पन्न जोखिमों का भी सामना करना पड़ा. फाक्सकान सहित दुनिया की बड़ी कंपनियां भारत में अपने परिचालन का विस्तार कर रही हैं. एलन मस्क की कंपनी टेस्ला भारत में निवेश के लिए उत्सुक है.
सीएनएन के अनुसार भारत के घरेलू निवेशक देश की ताकत को बढ़ाते है और विदेशी फंड पर इसकी निर्भरता को कम करते हैं. भारत ने पश्चिमी देशों और अन्य प्रमुख आर्थिक शक्तियों से अच्छे संबंध बना कर रखे हैं. यही कारण है कि वैश्विक निवेशक भारत में निवेश करना चाहते हैं. सैन फ्रांसिस्को के निवेश फंड मैथ्यूज एशिया के पोर्टफोलियो मैनेजर पीयूष मित्तल ने कहा कि भारत के अलावा कोई दूसरा देश नहीं है जो चीन की जगह ले सके. अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुमत के साथ वापस आते हैं और राजनीतिक स्थिरता होती है, तो मैं निश्चित रूप से विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत में निवेशकों की रुचि और भी अधिक होगी.
भारत में युवा आबादी से लेकर निवेश के अनुकूल बहुत कुछ है. इस समय निवेश के लिए दुनिया भारत की और देख रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी जबकि चीन की विकास दर 4.6 प्रतिशत ही रहेगी. जेफरीज के विश्लेषकों को उम्मीद है कि देश 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बन जाएगा.
एमएससीआइ के सूचकांक दुनिया भर के संस्थागत निवेशकों को यह तय करने में मदद करते हैं कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए. एमएससीआइ ने इस महीने कहा था कि वह अपने सूचकांक में भारत का भारांक 17.98 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.06 प्रतिशत और चीन का भारांक घटाकर 24.77 प्रतिशत करने जा रहा है. मैक्वेरी कैपिटल में भारत इक्विटी रिसर्च के प्रमुख आदित्य सुरेश ने कहा, कुछ साल पहले एमएससीआइ सूचकांक में भारत का भारांक लगभग सात प्रतिशत था.