आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ही उत्तर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानपरिषद की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने अखिलेश को पत्र लिखा और इसी के साथ एमलएसी भी छोड़ दी है. पत्र में मौर्य ने लिखा कि मैं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर निर्वाचित हुआ हूं, चूंकि मैंने समाजवादी पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है, इसलिए नैतिकता के आधार पर विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूं.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा मुखिया अखिलेश को लिखे पत्र में कहा है कि आपके नेतृत्व में सौहार्दपूर्ण वातावरण में काम करने का मौका प्राप्त हुआ, लेकिन 12 फरवरी 2024 को हुई बातचीत और 13 फरवरी को भेजी गई चिट्ठी पर बातचीत की पहल नहीं करने के फलस्वरूप मैं समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं.
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार सपा से नाराज रहे थें. उन्होंने रामचरितमानस पर एक विवादित बयान दिया था, जिसके बाद उनकी पार्टी असहज स्थिति का सामना कर रही थी. सपा के कई नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ ऐक्शन लेने के लिए अखिलेश को कह रहे थे. पार्टी के नेताओं ने मौर्य के बयान को निजी कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की और यही बात मौर्य को पसंद नहीं आई. मौर्य ने अखिलेश यादव को पत्र लिखा कि महासचिव के पद पर बैठे अन्य नेताओं के बयान पार्टी के बयान होते हैं. ऐसे में उनके बयान निजी कैसे हो सकते हैं? उन्होंने भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके इन्हीं बयानों के कारण दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों का कनेक्शन सपा से हुआ है.