पटना: बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले शनिवार को बलरामपुर से माले विधायक महबूब आलम जीतन राम मांझी से मुलाकात करने पहुंचे हैं. दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में मुलाकात हुई है. कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद ने मांझी को मनाने के लिए माले विधायक को दूत बनाकर भेजा है। ऐसे में सियासी गलियारे में एक बार फिर मांझी के पाला बदलने की चर्चा तेज हो गई है. हालांकि हम ने किसी भी तरह के सियासी खेल से इनकार किया है.
नई सरकार के गठन के बाद से ही राजद और कांग्रेस फ्लोर टेस्ट से पहले बड़े खेल का दावा कर रहा था. कहा जा रहा है कि बड़े सियासी खेल की अटकलों के बीच लालू प्रसाद ने अपना आखिरी दांव चल दिया है.
राज्य में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही जीतन राम मांझी एक और मंत्री पद की मांग कर सरकार पर दबाव बना रहे थे. उन्होंने यहां तक कहा था कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया जा रहा है. मांझी ने कहा था कि एक रोटी से उनका पेट नहीं भरने वाला है और पेट भरने के लिए कम से कम दो रोटी की जरूरत है. मांझी के इस बयान के बाद कहा जा रहा था कि वे कभी भी पाला बदल सकते हैं.
हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने कहा था कि वे उन्हें जो एक मंत्री पद मिला है वे उससे संतुष्ट हैं. वहीं जीतन राम मांझी ने कहा था कि वे कुर्सी की लालच में किसी को धोखा नहीं दे सकते हैं और पूरी मजबूती से नीतीश सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं. अब जब बीजेपी का कोई भी नेता पटना में मौजूद नहीं है तो लालू ने अपनी सियासी चाल चलते हुए बड़े ऑफर के साथ अपने दूत के रूप में माले विधायक को मांझी को मनाने के लिए भेजा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सही में बिहार में बड़ा खेल होने वाला है?
साभार- हिन्दुस्थान समाचा