मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पंडित जवाहर लाल नेहरु की जयंती और छठ घाटों के निरीक्षण के लिए निकले थे. जीतन राम मांझी पर अपने तीखे रुख के बाद से वह मीडिया से दूरी बनाकर चल रहे हैं. इसी क्रम में मंगलवार को भी मीडिया ने उनसे बात करने का प्रयास किया लेकिन इस बार नीतीश अनदेखी कर नहीं बढ़े. उन्होंने शीश झुकाकर मीडियाकर्मियों की तरफ हाथ जोड़ लिया. फिर जब मंत्री आगे बढ़ने लगे तो उन्हें सामने से हटाकर दोबारा उसी तरह हाथ जोड़ा और आगे बढ़ गए. नीतीश इन वाकयों से पहले मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार के दबाव की बात करते रहे हैं, लेकिन ताजा घटनाक्रमों के बाद उनका यह चौंकाने वाला अंदाज चर्चा में है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता का बिगुल फूंकने के लिए 23 जून को पटना में बड़ी बैठक बुलाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार अपने असल अंदाज से बिलकुल अलग नजर आ रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि पिछले कुछ दिनों से नीतीश इतना अतरंगी व्यवहार क्यों कर रहे हैं. पहले तो मंत्री के सिर को पकड़ दूसरे से टकराना, मंत्री के सिर पर श्रद्धांजलि सभा का फूल डालना, बिहार विधानमंडल में जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग करना, फिर उसकी माफी, उसके बाद खुद से उम्रदराज पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपमानित करना और अब नीतीश का नतमस्तक होना! सब अजूबा है. भले ही राजनीतिक सवाल उठ रहे हो कि नीतीश को दवा खिलाया जा रहा है लेकिन इन घटनाओं के बाद ये सोचने वाली बात जरूर है कि नीतीश को आखिर हुआ किया है.