आकलन वर्ष 2021-22 में 500 करोड़ रुपये से अधिक का रिटर्न दाखिल करने वाली 441 इकाइयों की तुलना में यह संख्या लगभग 34 प्रतिशत बढ़ी है. आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 1.6 करोड़ करदाताओं ने कर का भुगतान किया, लेकिन आकलन वर्ष 2020-21 के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया. इस दौरान करीब 6.7 करोड़ रिटर्न फाइल किए गए.
प्रत्यक्ष करों में आय और निगम कर शामिल हैं, जिसमें 554 में से 589 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने 500 करोड़ रुपये से अधिक की सकल कुल आय का रिटर्न दाखिल किया है. इससे पिछले वित्त वर्ष में ऐसी 413 कंपनियां थीं. इसके विपरीत, 500 करोड़ रुपये से अधिक की सकल आय दर्ज करने वाले व्यक्तियों की संख्या आकलन वर्ष 20-21 के 12 से घटकर आकलन वर्ष 2021-22 में सात हो गई. शेष 589 एचयूएफ, फर्म, व्यक्तियों के संघ और अन्य लोग थे. विभाग ने कहा कि ये आंकड़े 31 मार्च, 2023 तक ई-फाइलिंग रिटर्न से तैयार किए गए हैं.
कर विशेषज्ञों ने रिटर्न और आय में वृद्धि के लिए मजबूत आर्थिक वृद्धि, कंपनियों के बढ़ते मुनाफे, उच्च घरेलू आय और कर अधिकारियों द्वारा बड़े आंकड़ों और प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग को जिम्मेदार ठहराया है.
‘तकनीकी उपयोग से प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि को बढ़ावा मिलता है’ इसके दो या तीन प्रमुख कारण हैं. एक यह है कि कॉर्पोरेट मुनाफा मजबूत रहा है और वे पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हैं. ध्रुव एडवाइजर्स के मुख्य कार्याधिकारी दिनेश कनबार ने कहा, ’10 लाख रुपये की आय वाले परिवारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था के अधिक औपचारिक होने के कारण प्रत्यक्ष कर संग्रह भी बढ़ा है और कर विभाग बड़े आंकड़ों सहित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है. हर लेनदेन पर कर लगाया जाता है और अब विदेश यात्रा के लिए भी स्रोत पर कर संग्रह होता है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व चेयरमैन आर प्रसाद ने इस सुधार का श्रेय कंपनियों के मुनाफे को दिया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष कर प्राप्तियों में स्रोत पर कर कटौती का हिस्सा लगभग 45 प्रतिशत है. कर विभाग ने प्राप्तियों को बढ़ावा देने और खामियों को दूर करने के लिए कई उपाय किए हैं. जीएसटी डेटा के इस्तेमाल से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी नंबरों का मिलान करने में मदद मिली है.
नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न में 2013-14 और 2021-22 के बीच 90% की वृद्धि हुई है. आंकड़ों से पता चलता है कि व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा दाखिल रिटर्न आकलन वर्ष 2013-14 के 3.4 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 6.4 करोड़ हो गया.चालू वित्त वर्ष के दौरान भी आकलन वर्ष 2023-24 के लिए अब तक 7.4 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए हैं, जिनमें 53 लाख नए करदाता शामिल हैं.