आज आश्विन पूर्णिमा के दिन खग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा. यह ग्रहण इस वर्ष का चौथा और आखिरी ग्रहण होगा. बता दूं कि जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा क्रमशः एक ही सीध में होते हैं या चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है, तब चंद्र ग्रहण लगता है और अबकी बार चंद्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की प्रच्छाया से ढका हुआ रहेगा. यह खग्रास चंद्र ग्रहणहोगा. मेष राशि और आश्विनी नक्षत्र पर लगने वाला यह ग्रहण खण्डग्रास रूप में पूरे भारतीय परिक्षेत्र के अलावा पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका, पश्चिम-दक्षिण प्रशांत महासागर, अमेरिका के पूर्वी भाग, अटलांटिका महासागर तथा हिंद महासागर में दिखेगा. चंद्रास्त के समय आस्ट्रेलिया, उत्तरी प्रशांत महासागर, रूस के पूर्वी क्षेत्र में ग्रहण का स्पर्श काल होगा. चंद्रोदय के समय ग्रहण का मोक्ष उत्तर एवं दक्षिण अटलांटिका महासागर, ब्राजील का पूर्वी क्षेत्र और कनाडा में दिखाई पड़ेगा.
बता दें कि भारतीय समयानुसार इस चन्द्र ग्रहण का स्पर्श काल काशी में आज देर रात 1 बजकर 5 मिनट पर होगा, जबकि इसका मोक्ष काल देर रात 2 बजकर 24 मिनट पर होगा. अतः इस ग्रहण का कुल पर्वकाल 1 घंटा 19 मिनट का होगा, जबकि इसका सूतक आज शाम 4 बजकर 5 मिनट से ही शुरू हो जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारंभ होने के 9 घंटे पहले लग जाता है. ग्रहण के सूतक के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. ग्रहण के दौरान चारों तरफ निगेटिविटी बहुत अधिक फैल जाती है, जिसका असर ग्रहण प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों पर भी पड़ता है. इसलिए सूतक लगने पर घर में सभी पानी के बर्तन में, दूध में और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डालनी चाहिए.
माना जाता है कि ग्रहण में वातावरण की किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. इसीलिए ग्रहण और सूतक काल में कुछ भी खाने-पीने की मनाही रहती है. क्योंकि किरणों का नकारात्मक प्रभाव खाने-पीने की सामग्री पर पड़ता है, जिसके सेवन से स्वास्थ्य प्रभावित होता है. हालांकि बच्चों, बुजुर्गों और जिनका स्वास्थ्य ठीक न हो उनके लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है. साथ ही जो सामग्री बनी रखी है उसमें तुलसी का पत्ता डालने के लिए कहा जाता है. तुलसी में पारा होता है. इसके चलते किसी प्रकार की किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है. मान्यता है कि नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के पास आते ही निष्क्रिय हो जाती है. तुलसी के पत्ते जिन चीजों में पड़ी रहती है उनमें किरणों का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है.