विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस के सदस्यों ने ‘पथ संचलन’ का आयोजन किया. इस अवसर पर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ‘स्व’ पर अपनी निर्भरता को लेकर बड़ी बात कही. सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आइए स्वदेशी के माध्यम से ‘स्व’ पर अपनी निर्भरता को मजबूत करें. उन्होंने कहा कि फिजूलखर्ची भी रुकनी चाहिए, देश में रोजगार के अवसर बढ़ें और देश का पैसा देश के भीतर और देश के हित में ही इस्तेमाल हो, इसलिए स्वदेशी का चलन घर से ही शुरू होना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा कि कानून-व्यवस्था और एक नागरिक के रूप में जिम्मेदारियों का सभी को पालन करना चाहिए, समाज में सद्भाव और सहयोग का माहौल कायम होना चाहिए.
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि एक राष्ट्र तभी समृद्ध होता है जब समाज एकजुट और सतर्क रहता है और मानव उद्यम के सभी क्षेत्रों में निस्वार्थ प्रयास करता है. उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र तब गौरव और तेज प्राप्त करता है जब शासन लोगों के कल्याण के लिए होता है और प्रशासन लोक-केंद्रित होता है, जो ‘स्व’ के आदर्शों पर आधारित निरंतर सहयोग से संचालित होता है.
उन्होंने कहा कि जब किसी राष्ट्र के पास ओज और वैभव से भरपूर भारत की सनातन संस्कृति जैसी संस्कृति हो, जो सबको अपना परिवार मानकर चलती हो, जो अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर ले जाती हो, नश्वरता से सार्थकता के अमर जीवन की ओर ले जाती हो, तो ही वह राष्ट्र दुनिया के संतुलन को बहाल करता है और दुनिया को एक खुशहाल और शांतिपूर्ण नए जीवन का आशीर्वाद देता है. सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि यही हमारे अमर राष्ट्र भारत के पुनरुद्धार का वास्तविक उद्देश्य है.