भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को अमेरिका में बड़ा सम्मान मिला है. हार्वर्ड के सेंटर ऑन लीगल प्रोफेशन की तरफ से चंद्रचूड़ को ‘वैश्विक नेतृत्व पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है. चंद्रचूड़ के लिए ये सम्मान इसलिए भी खास है क्योंकि हार्वर्ड लॉ स्कूल उनका अल्मा मेटर यानी पढ़ाई की पुरानी संस्था रही है. उन्होंने दशकों पहले यहां कानूनी की बारीकियां सीखीं और आज सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं.
गौरतलब है कि हार्वर्ड लॉ स्कूल भी अपने ग्रेजुएट लॉ प्रोग्राम की 100वीं वर्षगांठ मना रहा है. सीजेआई चंद्रचूड़ इस प्रतिष्ठित संस्था में 1982-83 में एलएलएम के छात्र रहे. इसके बाद 1983-1986 में एसजेडी उम्मीदवार के रूप में भी उन्होंने हार्वर्ड में काफी समय बिताया. बातचीत के दौरान चंद्रचूड़ ने हार्वर्ड में गुजारे अपने पुराने दिनों को याद किया.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष के दौरान सुप्रीम कोर्ट में की गई पहलों के बारे में बात की. उन्होंने अदालती प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी का समावेश, लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने के लिए हैंडबुक का लॉन्च जैसे फैसलों का भी उल्लेख किया.
हार्वर्ड में चंद्रचूड़ को मिले सम्मान के बाद जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, “मुख्य न्यायाधीश ने अंतःविषय अध्ययन के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि कानून शून्य में काम नहीं करता है. चिकित्सा विज्ञान या प्रौद्योगिकी के मुद्दे कानून के कामकाज से जुड़े हुए हैं.
हार्वर्ड में कानूनी सहायता क्लीनिकों का उल्लेख करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानून के छात्रों को क्लीनिकल कानूनी मॉडल में शामिल किया जाना चाहिए. यहां वे स्थानीय क्षेत्रों में वास्तविक समय के मामलों में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं.
क्या कानूनी पेशे का लोकतंत्रीकरण किया जा सकता है? इस सवाल पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में लागू की गई नई कानून क्लर्क योजना का उल्लेख किया. इससे सुप्रीम कोर्ट में क्लर्कशिप के लिए आवेदन करने के लिए सभी को समान अवसर मिलते हैं.
उन्होंने वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी अपनी चिंता साझा की. सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया कि वरिष्ठ वकीलों और न्यायाधीशों के अलावा, लॉ स्कूलों को भी छात्रों को तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के लिए प्रशिक्षण मिलना चाहिए. उन्होंने ट्रेनिंग के लिए एक तंत्र विकसित करने पर भी जोर दिया. मुख्य न्यायाधीश ने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों और संकाय सदस्यों से भी बातचीत की.