होम-कार लोन समेत सभी तरह के कर्ज लेने वालों के लिए बुरी खबर है. बढ़ी ईएमआई से उनको जल्द राहत नहीं मिलने वाली है. इस बात की जानकारी खुद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी है. ‘कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023’ में एक सवाल के जवाब में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि ब्याज दर फिलहाल ऊंची बनी रहेंगी और केवल समय ही बताएगा कि यह कितने समय तक ऊंचे स्तर पर रहेगी. मौजूदा भू-राजनीतिक संकट के मद्देनजर, दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने बढ़ी महंगाई से निपटने के लिए अपनी प्रमुख नीतिगत दरें बढ़ा दी हैं. हालांकि महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी से नीतिगत दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. यह 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है. इससे पहले पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी.
शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने महंगाई को काम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं. इसके चलते जुलाई में 7.44 प्रतिशत के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद महंगाई में कमी आई है. सब्जियों तथा ईंधन की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में सालाना आधार पर खुदरा महंगाई घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत आ गई. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई अगस्त में 6.83 प्रतिशत और सितंबर 2022 में 7.41 प्रतिशत थी. जुलाई में महंगाई 7.44 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी में नीतिगत दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की है.
उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान से मौद्रिक नीति का असर तेजी से और प्रभावी रूप से दिखने लगा है. दास ने इस बात पर भी जोर दिया कि मॉनिटरी पॉलिसी हमेशा चुनौतीपूर्ण रहती है. गवर्नर ने अपने भाषण में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब तीन चुनौतियों महंगाई, स्लो ग्रोथ रेट और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम का सामना कर रही है. घरेलू वित्तीय क्षेत्र के संबंध में उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक तनाव की स्थिति के दौरान भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखने में सक्षम होंगे. दास ने कहा कि भारत वैश्विक वृद्धि का नया इंजन बनने के लिए तैयार है और मार्च 2024 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.