बिहार के पटना एम्स में आयोजित पहले दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री ने बीजेपी से दोस्ती वाले अपने बयान पर सफाई दी. पटना एम्स के ऑडिटोरियम में भी बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव और छेदी पासवान मौजूद थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग यहां बैठे हैं, उसी तरह से वहां भी पुराने साथी बैठे थे. हमने कहा था कि याद रखिएगा कि यहां पर कैसे सब हुआ है. इस पर सब ताली बजाने लगे. इसका कोई मतलब नहीं है.
दरअसल सीएम नीतीश ने मोतिहारी के महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए बीजेपी से अपनी दोस्ती की चर्चा की थी. उन्होंने कहा कि 2007 में केंद्र सरकार ने कई राज्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया था. उन्होंने (नरेंद्र मोदी) कहा था कि हम बिहार को भी देंगे और उन्होंने अपना वादा पूरा किया. सीएम ने नरेंद्र मोदी का मंच से आभार भी जताया और कहा कि हम जब तक जीवित रहेंगे इज्जत करते रहेंगे. हम कहीं भी रहें बीजेपी नेताओं से हमारा संबंध बना ही रहेगा. हमारी दोस्ती कभी खत्म नहीं होगी.
नीतीश कुमार के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई. जेडीयू नेताओं को इस पर सफाई देते नहीं बन रहा. वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार को हम लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं, वह कुछ भी बोल सकते हैं. भाजपा से जहां तक उनके संबंधों की बात है तो एनडीए में उनकी एंट्री नहीं हो सकती है. वहीं नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि लगता है कि अब नीतीश कुमार को आभास हो गया है कि वह क्या कर रहे हैं और भाजपा ने बिहार के लिए क्या कुछ किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा चाणक्य बन कर चंद्रगुप्त के हाथ में सत्ता को सौंपती रही है. जब बिहार में जंगल राज था भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश कुमार का साथ दिया.