चुनाव आयोग ने सोमवार (9 अक्टूबर) को पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में नवंबर-दिसंबर में होने वाले चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है. इनमें से हिंदी बेल्ट वाले राज्यों को लेकर लगातार चर्चा हो रही है. यहां सियासी पारा भी काफी गर्म हो चुका है, लेकिन मिजोरम में अभी चुनावी कैंपेन ने उतनी रफ्तार नहीं पकड़ी है. चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि मिजोरम में 7 नवंबर को मतदान होंगे जबकि नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.
इस उत्तर पूर्वी राज्य की बात करें तो यह राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां अभी मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है और जोरमथांगा प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. इन्होंने कांग्रेस को सत्ता से बाहर करके कुर्सी हासिल की थी. पिछले कुछ महीने से मणिपुर में जो हिंसा हो रही है, उसे देखते हुए मिजोरम चुनाव और दिलचस्प हो सकता है. जानते हैं यहां का राजनीतिक समीकरण.
मिजोरम में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि मिजो नेशनल फ्रंट ने 10 साल बाद सत्ता में वापसी की थी. 40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा में 2018 में MNF को 26 सीटें मिलीं थीं, जबकि कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा जोरम पीपुल्स मूवमेंट 8 सीटों पर और भारतीय जनता पार्टी 1 सीट पर जीती थी. कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी निराशाजनक रहा था. यहां उस वक्त के सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लाल थनहावला को चंपई दक्षिण और सेरछिप विधानसभा क्षेत्रों से हार का सामना करना पड़ा था. एक जगह उन्हें एमएनएफ के उम्मीदवार ने तो एक जगह निर्दलीय प्रत्याशी ने हराया था.
मिजोरम में चुनाव आयोग की तरफ से अगस्त में जारी फाइनल वोटर लिस्ट के मुताबिक, राज्य में कुल 8,38,039 वोटर्स हैं. इसमें महिला वोटर की संख्या 4,31,292 है, जबकि पुरुष मतदाता 4,06,747 हैं. यहां पर पुरुष वोटर्स की तुलना में महिला वोटर 24,545 ज्यादा हैं. इसके अलावा राज्य में 5,021 ‘सर्विस वोटर’ हैं.