एनडीए गठबंधन में एक साथ चाचा भतीजा के रहने के बावजूद दोनों के बीच की तकरार घटने की जगह और भी बढ़ती जा रही है. वैशाली के हाजीपुर में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने एक बार फिर से अपने भतीजे चिराग पासवान पर जबरदस्त प्रहार किया है.
पशुपति पारस ने कहा है कि बिहार की 40 की 40 सीट पर चिराग पासवान चुनाव लड़ जाए क्या दिक्कत है. उनका कहना है कि या तो चिराग पासवान एनडीए गठबंधन के फैसले को मानें या सभी सीटों पर चुनाव लड़ें. यही नहीं चाचा भतीजे के बीच हो रही चुनावी जंग में चाचा ने खुले तौर पर भतीजे को चेतावनी भी दे डाली है. पशुपति पारस ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर चिराग पासवान अपनी मां को हाजीपुर से चुनाव लड़ाते हैं तो पशुपति कुमार पारस भी जमुई से चिराग पासवान के विरुद्ध अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे. दरअसल पशुपति कुमार पारस अपने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के भ्रमण के लिए पहुंचे थे.
क्षेत्र में कई लोगों से पशुपति पारस का मिलने का कार्यक्रम था. इसके पहले हाजीपुर के सर्किट हाउस में पशुपति कुमार पारस ने पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. वहीं मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा चिराग पासवान को एनडीए का जो फैसला होगा, उसे मानना चाहिए या 40 सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हाजीपुर हमारी धरती है. हाजीपुर से हम सांसद हैं. हम हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे, यह मैं दर्जनों बार कह चुका हूं. इसके बाद जिसको ताकत आजमाइश करना है करें. बता दें कि इससे पहले चिराग पासवान ने अपने एक बयान में कहा था कि उनकी इच्छा है कि हाजीपुर लोकसभा सीट से उनकी मां रीना पासवान चुनाव लड़े.
चिराग के इसी बयान के बाद चाचा भतीजे के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है. पशुपति पारस पहले से एनडीए गठबंधन का हिस्सा रहे हैं और अब उनके चिर प्रतिद्वंदी चिराग पासवान के सर पर भी पीएम मोदी का हाथ है और वह भी एनडीए गठबंधन का ही हिस्सा हैं. चाचा भतीजा दोनों के एनडीए गठबंधन में एक साथ आने के बाद कयास लगाया जा रहा था कि दिलों की खटास मिटे ना मिटे राजनीतिक बयानबाजी में जरूर कमी आएगी. लेकिन ठीक इसके विपरीत दोनों की जुबानी जंग तेज हो गई है और उसका मुख्य कारण है हाजीपुर लोकसभा सीट. हाजीपुर सीट को चाचा भतीजा दोनों ही सबसे सुरक्षित सीट मानते हैं.
दरअसल हाजीपुर सीट से रामविलास पासवान ने रिकॉर्ड कई बार जीत दर्ज की थी. उनके निधन के बाद पशुपति इस सीट से चुनाव लड़े और उनकी भी जीत हुई. ऐसे में चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों इसे सुरक्षित सीट मानते हैं. पशुपति पारस ने पहले भी हाजीपुर सीट का खुद को असली उत्तराधिकारी बताया था.