शराब बरामदगी मामले में पहली बार हिंदी में निर्णय देकर पटना हाईकोर्ट ने मील का पत्थर स्थापित किया. जस्टिस अंशुमान ने शराब बरामदगी मामले में विकास कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद के अनुरोध पर हिंदी में निर्णय दिया.
इस मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में सुनवाई और निर्णय देने के लिए कई बार याचिकाएं दायर की थी. वे संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए पटना हाईकोर्ट में कई बार हिंदी भाषा में निर्णय देने के लिए आग्रह करते रहे हैं.विकास कुमार से शराब बरामदगी मामले में पुलिस ने मामला दर्ज किया था. ये मामला पटना हाईकोर्ट में उनकी जमानत याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था. अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद ने इस मामले पर याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट के समक्ष हिंदी में पक्ष रखा. उन्होंने पूरी बहस हिंदी में की.
जस्टिस अंशुमान ने बहस पूरी होने के बाद अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद से पूछा कि निर्णय अंग्रेजी में दे या हिंदी में.अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद ने कहा कि यदि निर्णय हिंदी में दिया जायेगा, तो हिंदी के लिए किये गये प्रयास की सार्थकता सिद्ध होगी. जस्टिस अंशुमान ने अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद के अनुरोध को स्वीकार करते हुए निर्णय हिंदी में लिखाया.
उनके स्टेनो को हिंदी भाषा में लिखने में कुछ कठिनाई होने लगी, तो उन्होंने हिंदी में लिखने वाले स्टेनो को कोर्ट में बुला कर हिंदी में निर्णय लिखवाया. इस तरह ये पहली बार हुआ कि पटना हाईकोर्ट में निर्णय हिंदी में लिखाया गया. ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.