जिस ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को कांग्रेस देशव्यापी मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है, भाजपा ने प्रदेश में उसकी हवा निकाल दी है. पार्टी ने अब तक जारी प्रत्याशियों की चार सूचियों में 29 प्रतिशत टिकट अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए हैं.
घोषित 136 प्रत्याशियों में से 40 प्रत्याशी ओबीसी वर्ग से बनाए हैं. दरअसल, कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से ओबीसी राजनीति को हवा देने की कोशिश कर रही है. यही कारण है कि भाजपा ने न केवल ओबीसी प्रत्याशियों की संख्या बढ़ाई है बल्कि इनमें महिलाओं को भी स्थान दिया है. इन्हें टिकट देकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि वह प्रदेश के सभी वर्गों की हितैषी है और प्रत्येक वर्ग भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है.
टिकट पाने वालों में 16 प्रत्याशी महिलाएं हैं, जबकि 28 युवा चेहरे चुनाव में उतारे गए हैं. अनुसूचित जाति के 18 व अनुसूचित जनजाति के 30 प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं. 24 मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को टिकट देकर भाजपा ने अनुभव को भी प्राथमिकता दी है. इनमें वर्तमान के 57 विधायकों पर पार्टी ने पुन: भरोसा जताया है. शेष 94 सीटों पर भी भाजपा का यह चुनावी समीकरण देखने को मिलेगा. अभी नौ मंत्रियों और 58 विधायकों को पार्टी से टिकट की आस है, अब देखना यह है कि पार्टी इन पर दाव लगाती है या पांचवीं सूची में बड़ा बदलाव किया जाएगा.
भाजपा ने ओबीसी के 40 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बना रही है कि वे बिहार की तरह ही देश भर में जातिगत जनगणना कराए. मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के ब्यौहारी में राहुल गांधी ने जातिगत मुद्दा उठाते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने जनगणना का काम शुरू कर दिया है और वे अब केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना के लिए मजबूर कर देंगे.
कांग्रेस के इस दावे की काट भाजपा ने 40 प्रतिशत ओबीसी प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर की है. भाजपा की अगली सूची में भी ओबीसी प्रत्याशियों को स्थान दिया जा सकेगा. 136 प्रत्याशी एक नजर में प्रत्याशी जिन्हें पहली बार टिकट मिला
11 महिला प्रत्याशी
16 युवा चेहरा
28 केंद्रीय मंत्री
तीन वर्तमान सांसद
चार (केंद्रीय मंत्रियों सहित सात)
अनारक्षित- 48
पिछड़ा वर्ग- 40
अनुसूचित जाति-18
अनुसूचित जनजाति- 30
मंत्रियों को टिकट मिला- 24
वर्तमान विधायकों को टिकट मिला- 57
तीन विधायकों के टिकट कटे ( मैहर नारायण त्रिपाठी, नरसिंहपुर जालम सिंह पटेल, सीधी केदारनाथ शुक्ला)
बची हुई सीटें– 94 –58 विधायक और नौ मंत्री — हारी हुई सीटे– 27
ओबीसी नेताओं को गाली देने वाली कांग्रेस पहले अपना ट्रैक रिकार्ड देखें मंडल आयोग का स्वर्गीय राजीव गांधी ने विरोध किया, 50 के दशक में काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट और 80 के दशक में मंडल आयोग की रिपोर्ट को कांग्रेस की सरकारों ने दबा दिया और लागू नहीं होने दिया. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष व सांसद थे तब ओबीसी समाज के द्वारा संवैधानिक आयोग बनाने की मांग भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दी थी.
केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि राहुल गांधी को ओबीसी से इतना प्रेम है तो वह यह बताएं कि 1950 से लेकर 1992 तक इस देश के नौजवानों को ओबीसी का रिजर्वेशन क्यों नहीं मिला? राहुल गांधी स्वयं ओबीसी समाज के बड़े नेताओं को जाति के नाम पर गाली देते रहे हैं. ऐसे में उन्हें कुछ भी कहने से पहले अपना और कांग्रेस का ट्रैक रिकार्ड देखना चाहिए.