सिक्किम में सैलाब की तबाही के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. फिलहाल टूटे हुए रास्तों को जोड़ने का काम किया जा रहा है. अचानक आयी बाढ़ से अलग-थलग हुए इलाकों में अस्थायी पुल बनाकर तथा अन्य साधनों के जरिए संपर्क बहाल करने पर काम किया जा रहा है. वहीं विभिन्न इलाकों में फंसे टूरिस्टों को निकालने का अभियान आज भी जारी रहेगा. अधिकारियों ने बताया कि सेना और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के कर्मी परेशानी में फंसे लोगों तक जरूरी सामान भेजने की दिशा में काम कर रहे हैं.
सिक्किम में सैलाब की तबाही के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. फिलहाल टूटे हुए रास्तों को जोड़ने का काम किया जा रहा है. अचानक आयी बाढ़ से अलग-थलग हुए इलाकों में अस्थायी पुल बनाकर तथा अन्य साधनों के जरिए संपर्क बहाल करने पर काम किया जा रहा है. वहीं विभिन्न इलाकों में फंसे टूरिस्टों को निकालने का अभियान आज भी जारी रहेगा. अधिकारियों ने बताया कि सेना और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के कर्मी परेशानी में फंसे लोगों तक जरूरी सामान भेजने की दिशा में काम कर रहे हैं.
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से लकड़ी का एक पुल बनाया गया. अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को टूरिस्टों समेत 500 से अधिक लोग इस पुल से गुजरे. सेना के इंजीनियर इस पुल को मजबूत बनाने पर काम कर रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि दुर्गम क्षेत्र और खराब मौसम से जूझते हुए सेना के एक दल ने चातेन इलाके में फंसे 11 नागरिकों को तत्काल भोजन और चिकित्सा सहायता उपलब्ध करायी. एक हेलीपेड बनाया गया और बाद में उन्हें वहां से निकाला गया.
इससे पहले, बाढ़ के कारण राज्य के शेष हिस्सों से कटे राबोम गांव तक जाने के लिए एक पैदल रास्ते को खोला गया. गांव में 245 लोग फंसे थे और उनमें से 129 कुंदन हाइडेल ऊर्जा प्रोजेक्ट के कर्मचारी है. लाचुंग में मोबाइल फोन संपर्क बहाल कर दिया गया है जबकि लाचेन घाटी में जल्द ही इसे बहाल किया जाएगा. मुख्य सचिव ने बताया कि भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर ने स्थानीय लोगों, सेना तथा आईटीबीपी कर्मियों के लिए उत्तर सिक्किम में करीब 58 टन राहत सामग्री भी पहुंचायी.
चार अक्टूबर को बाढ़ आने के एक सप्ताह बाद भी 76 लोग लापता हैं. सिक्किम और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के अनुसार, अभी तक सिक्किम में 36 शव मिले हैं जबकि पड़ोसी पश्चिम बंगाल में नदी के किनारे स्थित कई स्थानों से 41 शव मिले हैं. ल्होनाक हिमनद झील में बादल फटने से भारी मात्रा में पानी आया, जिससे तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी. इससे कई शहर और गांव जलमग्न हो गए तथा करीब 87,300 लोग प्रभावित हुए.