भारतीय रिजर्व बैंक ने आज मौद्रिक नीति समिति बैठक के बाद फैसलों का एलान कर दिया है. तीन दिन चली बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपना फैसला सुनाया. बता दें, त्योहारी सीजन से पहले आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है. यह ग्राहकों के लिए राहत की खबर है. इसका मतलब लोन की ईएमआई में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा. ऐसा चौथी बार हो गया है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया.
आरबीआई की तीन दिनों की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई थी, जिसका आज शुक्रवार को अंतिम दिन था. बता दें कि आरबीआई ने अप्रैल, जून, अगस्त में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था. इस बार भी रिजर्व बैंक रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा गया है. मौजूदा रेपो रेट 6.50 प्रतिशत है, एसडीएफ रेट 6.25 प्रतिशत है, एमएसएफ रेट और बैंक रेट 6.75 प्रतिशत है, रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत और सीपीआर रेट 4.50 प्रतिशत है, और एसएलआर रेट 18 प्रतिशत है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक के नतीजे का इंतजार सबसे ज्यादा लोन लेने वालों को है. इसमें रपो रेट को लेकर निर्णय लिया जाता है, जो सीधा असर लोन पर डालता है. अगर इस बार आरबीआई रेपो रेट में इजाफा करता है तो लोन EMI भी बढ़ जाएगी, और पॉलिसी रेट घटने पर ये कम हो जाती है. बता दें कि केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में बदलाव करती है. हालांकि, इस बार क्या फैसला लिया जाता है, थोड़ी ही देर में सामने आएगा.
बता दें, रेपो रेट वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को लोन देता है. इसलिए जब रेपो रेट की दर में वृद्धि होती है, तो सभी बैंकों को केंद्रीय बैंक से महंगे इंटरेस्ट रेट पर लोन मिलता है. इस वजह से आमजन को मिलने वाला कर्ज भी महंगा हो जाता है और उसके बाद कर्ज की EMI बढ़ जाती है.