देश के प्रमुख मंदिरों में से एक जगन्नाथ पुरी मंदिर के देवता 15 सितंबर को शाम तक भूखे रहे. अमूमन पुरी जगन्नाथ के देवता को दिन का पहला भोग सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक लगा दिया जाता है लेकिन शुक्रवार के दिन उन्हें शाम 5.30 भोग लगाया गया. वजह रही सेवकों की हड़ताल. इन लोगों ने एक पुजारी के जबरन मंदिर में प्रवेश कर अनुष्ठान कराने का विरोध जताया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में इस पुजारी ने कथित अंतरजातीय विवाह किया था और इसके बाद से पुजारी के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बावजूद ये पुजारी जबरन मंदिर में अनुष्ठान करने के लिए पहुंच गया. इसके विरोध में सेवकों ने हड़ताल कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक सप्तपुरी अमावस्या के मौके पर इस पुजारी ने सेवा की थी.
हालांकि मंदिर में आम दर्शन पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला. वहीं, मंदिर प्रशासन शाम तक सेवादारों को शांत करने में विफल दिखा. बाद में प्रशासन सफाई अनुष्ठान करने पर सहमत हुआ जो दोपहर करीब 2 बजकर 10 मिनट पर किया गया. अनुष्ठान दोपहर 2.20 बजे के आसपास फिर से शुरू हुआ और शाम 5.30 बजे देवताओं को नाश्ता कराया गया.
मंदिर के मुख्य प्रशासक रंजन दास ने कहा, “हम उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने व्यवधान उत्पन्न किया. सेवादार ने प्रतिबंध के बावजूद गर्भगृह में सेवा देने की कोशिश की. इससे अनुष्ठानों में व्यवधान उत्पन्न हुआ.” इस बीच सिंघारी ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने पिछले साल भी अनुष्ठान किया था.
वहीं, ओडिशाबाइट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक पूजा पांडा सेवायत ने मीडिया को बताया कि सिंघारी सेवक को अनुष्ठान करने से रोक दिया गया था क्योंकि उसने दूसरी जाति की महिला से शादी की थी. उन्होंने कहा कि यह निजोग का नियम है.