पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की बात कोई नई नहीं है. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू, सिख समुदायों के लोगों और उनके धर्मस्थलों को निशाना बनाने की गलत हरकतें लगातार होती रही हैं. इसी बीच पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले का एक और ताजा मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अलग अलग जिलों में इस्लामिक संगठनों के मेंबर्स ने अल्पसंख्यक समुदाय अहमदिया मुसलमानों की तीन इबादतगाहों की मीनारों को तोड़ दिया. आरोप यह है कि ये मीनारें मस्जिदों का प्रतीक हैं. इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए करीब दो सप्ताह पहले भी अहमदिया समुदाय की एक इबादतगाह की मीनारों को तोड़ दिया गया था. हाईकोर्ट ने 1984 से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के धर्मस्थलों के खिलाफ इस तरह के कृत्यों पर रोक लगा दी थी.
पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था. यहां तक कि उन पर खुद को मुस्लिम कहने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. ‘जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान’ के पदाधिकारी आमिर महमूद ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान शेखपुरा, बहावलनगर और बहावलपुर जिलों में अहमदिया समुदाय की इबादतगाहों की मीनारों को मुस्लिम मस्जिद जैसा बताते हुए तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कार्यकर्ता उनमें घुसे और उन मीनारों को तोड़ दिया. दरअसल, अहमदिया समुदाय पर उपदेश देने और सऊदी अरब जाकर हज व उमरा करने पर रोक है. पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोगों की संख्या करीब 10 लाख है, जबकि गैर-आधिकारिक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है.
इन हालिया घटनाओं के साथ ही अब तक पाकिस्तान के अलग अलग इलाकों में अहमदिया समुदाय की इबादतगाहों पर हमला करने या पुलिस की ओर से उन्हें आंशिक रूप से ध्वस्त किए जाने की घटनाओं की संख्या बढ़ गई हैं. अब तक यह संख्या 31 हो चुकी है. महमूद ने कहा कि ‘जब टीएलपी कार्यकर्ता इन अहमदिया समुदाय की इबादतगाहों में प्रवेश किए तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. महमूद ने कहा कि अहमदिया समुदाय के लोगों को उनके बुनियादी हक से भी महरूम किया जा रहा है। दुख इस बात का है कि पुलिस भी ऐसे काम में सबसे आगे रही है.