चीन की विस्तारवादी नीति की दुनियाभर में आलोचना होती रही है। चीन पहले कर्ज देता है, फिर कर्ज के जाल में फंसाकर दबाव डालता है. उसकी इस नीति के कारण कई देश परेशान है. अमेरिका और पश्चिमी देश चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध करते हैं. लेकिन अब चीन की ‘कर्ज’ देकर दबाव डालने वाली चाल को कई देश समझने लगे हैं. यही कारण है कि एक मुस्लिम देश में चीन के खिलाफ विद्रोह जैसे हालात बन गए. इस देश के लोगों ने चीन के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया है.
जानकारी के अनुसार चीन के खिलाफ दक्षिण पूर्वी एशियाई देश इंडोनिशिया में विद्रोह की स्थिति बन गई है. इस मुस्लिम बहुल देश के एक द्वीप के हजारों की संख्या में लोग चीन के खिलाफ विद्रोह के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. आक्रामक विद्रोह की वजह से हालात इतने बिगड़ गए कि इंडोनेशियाई सरकार को विद्रोह को दबाने के लिए दंगा निरोधक पुलिस फोर्स को तैनात करने पर मजबूर होना पड़ा.
आरोप है कि चीन की एक परियोजना से द्वीप पर रहने वाले हजारों लोग विस्थापित हो जाएंगे. यह पहली बार नहीं है, जब किसी देश में चीन के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. इससे पहले भी दक्षिण चीन सागर के आसपास के देश फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान समेत कई देशों में लोग चीन के खिलाफ सड़कों पर उतर चुके हैं. दक्षिण चीन सागर में चीन के दबदबे से भी ये देश काफी परेशान हैं. चीन इस दक्षिण चीन सागर के इलाके में अपना दादागिरी दिखाता है. कई बार ये देश चीन का विरोध कर चुके हैं.
इंडोनेशिया चीन से मिले कर्ज से सेमपांग द्वीप को स्पेशल इकोनॉमिक जोन के रूप में विकसित कर रहा है. ऐसे में इस योजना को लेकर सोमवार को हजार लोगों ने बाटम शहर में विरोध प्रदर्शन किया. इस परियोजना के अंतर्गत द्वीप पर अरबों डॉलर की ग्लास फैक्ट्री का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे लगभग 7500 लोग विस्थापित होंगे. इस घटना के बाद दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है. दरअसल, चीन ने इंडोनेशिया में अरबों डॉलर का इनवेस्टमेंट किया है. इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो की चीनी शहर चेंग्दू की यात्रा के दौरान कारखाने के निर्माण के लिए दुनिया के सबसे बड़े ग्लास उत्पादक, ज़िनी ग्लास होल्डिंग्स से कथित तौर पर 11.5 बिलियन डॉलर के निवेश का वादा हासिल किया था.