रूस और यूक्रेन के बीच जंग को डेढ़ साल पूरे हो गए, लेकिन जंग है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण किया. इसके बाद यूक्रेन और रूस के बीच भीषण जंग शुरू हो गई. बाद में यूक्रेन का साथ नाटो संगठन के देश भी परोक्ष रूप से जुड़ गए. इधर रूस अकेला पड़ने लगा. समय के साथ यूक्रेन ने रूस पर पलटवार करना शुरू कर दिया. ड्रोन अटैक करने के साथ ही यूक्रेन रूस द्वारा कब्जाए इलाकों को वापस खाली कराने के लिए भी लगातार जतन करने लगा. वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पुतिन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया, युद्ध छेड़ने के आरोप में. इसके चलते धीरे धीरे रूस इस जंग में अलग थलग पड़ने लगा. इस कारण रूस के राष्ट्रपति पुतिन खासे हताश हैं. खासतौर पर रूस की इकोनॉमी को लेकर उन्होंने हताशाभरा बयान दिया है.
रूस की इकोनॉमी पर भी असर पड़ा। क्योंकि पश्चिमी देशों ने रूस पर कारोबारी प्रतिबंध भी लगा दिए. वहीं रूस में वैगनर लड़ाकों ने विद्रोह कर दिया. वहीं देश में युवाओं ने सेना में भाग लेने से कन्नी काटना शुरू कर दिया. इन सबके बीच रूस की इकोनॉमी को खासा नुकसान हुआ है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि ‘रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों का अभूतपूर्व दबाव को झेला है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि पुतिन ने सोमवार को 2024-2026 के संघीय बजट पर एक बैठक के दौरान कहा, ‘हमने अभूतपूर्व बाहरी दबाव, पश्चिमी ब्लॉक में कुछ सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के प्रतिबंधों का सामना किया है.’ उन्होंने कहा, ‘रूस की जीडीपी 2021 के स्तर पर पहुंच गई है और अब, आगे स्थिर और दीर्घकालिक विकास के लिए स्थितियां बनाना महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने घोषणा की कि देश की आर्थिक सुधार अवधि अब पूरी हो गई है.
गौरतलब है कि दिसंबर 2022 में पुतिन ने आखिरी विदेश दौरा किया था. तब वे किर्गिस्तान और बेलारूस गए थे. इसके बाद से उन्होंने अब तक कोई विदेश यात्रा नहीं की है. हालांकि पुतिन अगले महीने बेल्ट एंड रोड फोरम में हिस्सा लेने के लिए चीन की यात्रा करेंगे. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद से पुतिन ने विदेश यात्रा नहीं की है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन की चीन यात्रा भी कई मायनों में खास होगी. इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि संकटकाल में पुतिन और जिनपिंग एक नए दोस्त के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं.