यह कहानी है एक ऐसे गांव की जिसने अपना भाग्य स्वयं लिखा. महाराष्ट्र के धुलिया जिले के साक्री ब्लॉक में मात्र 94 परिवारों के इस वनवासी गांव(tribal village)ने सिद्ध कर दिया कि मनुष्य यदि प्रकृति से मित्रता कर ले तो उसके अभाव सदैव के लिए मिट सकते हैं. यह गांव वासियों के संगठित प्रयासों का ही परिणाम है