डरी सहमी दुबकी हुयी पंद्रह बरस की एक बच्ची कभी डरकर अपनी मां के आँचल में सिमट जाती व कभी फूट-फूटकर रोने लगती. मां की हालत तो और भी बुरी थी, उसकी आखों में एक असहनीय वेदना थी, मानो उसका सबकुछ लुट गया हो.
डरी सहमी दुबकी हुयी पंद्रह बरस की एक बच्ची कभी डरकर अपनी मां के आँचल में सिमट जाती व कभी फूट-फूटकर रोने लगती. मां की हालत तो और भी बुरी थी, उसकी आखों में एक असहनीय वेदना थी, मानो उसका सबकुछ लुट गया हो.
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