स्टील को मजबूत करने और बैटरी बनाने के लिए प्रयोग किए जाने वाला युद्ध खनिज भारत में दुर्लभ है. लेकिन गुजरात के अलंग से दूर अरब सागर में खुलने वाली खंभात की खाड़ी से एकत्र किए गए गाद (तलछट) के नमूनों में इस दुर्लभ मिनरल ‘वैनेडियम’ के मिलने का दावा किया गया है. दरअसल, वैनेडियम, कई इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल होने वाला अहम कच्चा माल है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने तलछटों पर की गई रिसर्च में वैनेडियम के संभावित नए स्रोत पाये जाने की सूचना दी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जीएसआई, मैंगलोर के समुद्री और तटीय सर्वेक्षण प्रभाग के एक शोधकर्ता बी गोपकुमार का कहना है कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने तलछटों पर शोध किया है जिसने सबसे पहले वैनेडियम के संभावित नए स्रोत की सूचना दी है. इसको लेकर ‘नेचर’ पत्रिका में एक लेख भी पब्लिश हुआ है. इस मैगजीन में भारत के अपतटीय तलछट में वैनेडियम की मौजूदगी के पाये गये नूमनों का दावा करने वाली पहली रिपोर्ट प्रकाशित हुई है.
बताया जाता है कि प्राकृतिक रूप से अपने शुद्ध रूप में दुर्लभ रूप से पाया जाने वाला वैनेडियम 55 से अधिक विभिन्न खनिजों में मौजूद होता है, जिससे इसका उत्पादन महंगा हो जाता है. खंभात की खाड़ी में वैनेडियम टाइटैनोमैग्नेटाइट नामक खनिज में पाया गया है, जो पिघले हुए लावा के तेजी से ठंडा होने पर बनता है. जीएसआई के वैज्ञानिकों ने कहा कि खंभात की खाड़ी में जमा वैनैडीफेरस टाइटैनोमैग्नेटाइट संभवतः डक्कन बेसाल्ट से मुख्य रूप से नर्मदा और तापी नदियों के माध्यम से निकाला गया था. वहीं, वैज्ञानिकों ने खंभात की खाड़ी के सीवेज (तलछट) से 69 नमूनों को एकत्र किया था.
बताया जाता है कि वैनेडियम मिनरल सामरिक क्षेत्रों के लिए जैसे रक्षा और एयरोस्पेस के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है. उदाहरण के लिए, टाइटेनियम और एल्यूमीनियम के वैनेडियम युक्त मिश्र धातुओं का उपयोग खासतौर पर जेट इंजन पुर्जों और हाई स्पीड एयरफ्रेम के लिए किया जाता है.
इनके अलावा, धातु का उपयोग ऊर्जा भंडारण और महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक घटकों (पुर्जों) को बनाने में भी किया जाता है. इसका उपयोग ऐसी मिश्र धातुएं बनाने के लिए किया जाता है जो संरक्षण, घिसाव और उच्च तापमान के प्रति अवरोधक होती हैं. इसका उपयोग वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी बनाने के लिए भी किया जाता है, जो बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के लिए भरोसमंद मानी जाती है. रिसर्च की माने तो अब तक
धातु के निशान अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और महाराष्ट्र में पाए गए हैं.