राष्ट्रमंडल खेल सिर पर हैं और अभी भारत के कई खिलाड़ी असमंजस की स्थिति में है. तमाम खेलों और प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. भारत के बेहतरीन पुरूष जिमनास्ट आशीष कुमार के चयन ट्रायल में पक्षपात के आरोप के एक महीने बाद राष्ट्रमंडल खेलों के लिये टीम में जगह बनाने की उम्मीद कम होती जा रही है जिससे वह अवसाद की ओर बढ़ रहे हैं.
आशीष ने 2010 राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में पदक जीते थे. उन्होंने भारतीय जिमनास्टिक महासंघ (जीएफआई) और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) को लिखकर आरोप लगाया था कि आगामी बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के लिये चयन ट्रायल में उनके साथ नाइंसाफी हुई थी.
ट्रायल्स 11 और 12 मई को कराये गये थे. उन्होंने ट्रायल्स में शीर्ष आठ जिमनास्ट के प्रदर्शन की वीडियो फुटेज की अंतरराष्ट्रीय जज से समीक्षा कराने का अनुरोध किया था. साइ ने इसके बाद जीएफआई से इस संबंध में रिपोर्ट सौंपने के लिये कहा और यह भी कि अगर जरूरत पड़ी तो वह मामले की जांच के लिये एक समिति गठित करेगा. हालांकि 32 साल के आशीष ने कहा कि उन्हें अभी तक जीएफआई या साइ ने कुछ नहीं बताया है और उनकी उम्मीद हर बीते दिन के साथ खत्म होती जा रही है.
आशीष ने कहा कि मैं इस पूरे प्रकरण से अवसाद महसूस कर रहा हूं. मैं नहीं जानता कि मैं ट्रेनिंग क्यूं कर रहा हूं. जब आपको पता ही नहीं है कि आप राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा ले पाओगे या नहीं तो इस अनिश्चितता की स्थिति में ट्रेनिंग जारी रखना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि साइ या जीएफआई से मुझे कोई जवाब नहीं मिला है जबकि मैं लगातार ईमेल कर रहा हूं. हम एक अलग तरह का खेल खेलते हैं जिसमें काफी मानसिक मजबूती की जरूरत होती है. अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हो तो आप खुद को चोटिल करा सकते हो. जीएफआई अध्यक्ष सुधीर मित्तल ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट सौंप दी है और अब फैसला साइ को करना है.
मित्तल ने कहा कि साइ ने जब हमसे रिपोर्ट मांगी थी, हमने वो तुरंत सौंप दी थी. अब फैसला करना उनका काम है. दो जून को आशीष ने साइ और जीएफआई को एक और पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने स्थिति साफ करने के बारे में पूछा था.