भारत को हर चार साल में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में काफी सफलता मिली है. भारतीय खिलाड़ियों ने इन खेलों में काफी पदक जीते हैं. 2018 में हुए गोल्ड कोस्ट खेलों में भारत ने कमाल का प्रदर्शन किया था. इस बार ये खेल बार्मिंघम में खेले जा रहे हैं. इन खेलों की शुरुआत 28 जुलाई से हो रही है. इस बार भी उम्मीद है कि भारत इन खेलो में कमाल करेगा. भारत के हिस्से इन खेलों में कई गेम्स में पदक आए हैं, लेकिन कई खेल ऐसे रहे हैं जिनमें भारत को ज्यादा सफलता नहीं मिली है. ऐसा ही एक खेल है जिम्नास्टिक्स.
जिम्नास्टिक्स में भारत का इतिहास अच्छा नहीं रहा है. इन खेलों में भारत को पदक के लाले पड़े हैं. निशानेबाजी, कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन की तुलना में जिम्नास्टिक में भारत ने बहुत ही कम पदक जीते हैं.जिम्नास्टिक में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा है, कब से ये राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा बना इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं.
आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक को राष्ट्रमंडल खेल महासंघ ने अपने कोर खेलों में शामिल किया है. सबसे पहले ये खेल 1974 में राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्स बना था वो भी प्रदर्शनी के तौर पर. 1978 में इस खेल को मेन प्रोग्राम में जगह मिली. 1990 से ये खेल इन खेलों का हिस्सा रहा है और लगातार रहा है.
जहां तक भारत के इतिहास की बात है तो राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने जिम्नास्टिक में सिर्फ तीन पदक जीते हैं. उसे ये तीन पदक दिलाए हैं दो खिलाड़ियों ने. भारत को जिम्नास्टिक में राष्ट्रमंडल खेलों में पहला पदक मिला था 2010 में. तब ये खेल भारत में ही आयोजित किए गए थे. भारत के पुरुष जिम्नास्ट आशीष कुमार ने इस साल दो पदक जीते थे. उन्होंने वॉल्ट में रजत पदक अपने नाम किया था. वहीं फ्लोर में उन्होंने कांस्य पदक जीता था. उनके बाद 2014 में ग्लास्गो में खेले गए राष्ट्रमंडल खेलों में दीपा कर्माकर ने वॉल्ट में भारत को कांस्य पदक दिलाया था. इन दोनों के अलावा भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में किसी अन्य जिम्नास्ट ने पदक नहीं दिलाया है.
इस बार उम्मीद की जाएगी की भारत के हिस्से पदक आए और ये उम्मीद सात खिलाड़ियों से है. इसमें सबसे बड़ा नाम है प्रणति नायक. इस महिला जिम्नास्ट से देश को काफी उम्मीदें हैं. सत्यजीत मोंडल, योगेश्वर सिंह, सैफ तांबोली पुरुष वर्ग में प्रतिस्पर्धा पेश करेंगे जबकि महिला वर्ग में प्रणति के अलावा रुतुजा नटराज, प्रोतोस्ति समाता, बलवीर कौर से काफी उम्मीद है.