बिहार में इस साल बचे हुए दिनों के लिए सरकारी स्कूलों की छुट्टियों में कटौती दी गईं हैं. बिहार शिक्षा विभाग के मुताबिक, पहले 23 दिन छुट्टियां थीं, जिसमें कटौती कर अब 11 दिन ही स्कूल बंद रहेंगे. शिक्षा विभाग ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया है. नीतीश सरकार के नए फरमान को लेकर बीजेपी ने नीतीश सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है.
वहीं बिहार सरकार की ओर से जारी की गई छुट्टियों की लिस्ट पर बीजेपी ने नीतीश सरकार को घेरा हैं. बीजेपी ने नीतीश सरकार के फरमान को शिक्षकों का मनोबल गिराने का आरोप लगाया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि, बिहार की यह घमंडिया सरकार लगातार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. वहीं केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी नीतीश सरकार को घेरा है.
”शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ पूजा की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. कल संभव है कि बिहार में शरिया लागू कर दी जाये और हिंदू त्योहार मनाने पर रोक लग जाये.” – गिरिराज सिंह, केन्द्रीय मंत्री
”बिहार की यह घमंडिया सरकार लगातार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. चाचा-भतीजे की सरकार हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने से बाज नहीं आती है. बिहार में अब क्या हिन्दू अपने धार्मिक त्यौहार भी नहीं मना सकते हैं? दीपावली, दुर्गा पूजा के अलावा महापर्व छठ की छुट्टियों में भी कटौती कर दी गई है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है. तुष्टिकरण की राजनीति के प्रणेताओं को बिहार के जनता 2024 और 2025 में करारा जवाब देगी.” – सम्राट चौधरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा है कि सरकार का यह फैसला हिंदू विरोधी है. हिंदुओं के त्यौहार रक्षाबंधन, दीपावली, छठ, जन्माष्टमी के दौरान दी जाने वाली छुट्टियों में कमी की गई है. मोहम्मद साहब के जन्मदिन और चेहल्लुम की छुट्टियां यथावत है. ये छुट्टियां रहनी भी चाहिए, लेकिन हिंदुओं के त्यौहार में दी जाने वाली छुट्टियां को रद्द करना तुष्टिकरण की राजनीति है. सरकार को इस फैसले को फौरन वापस लेना चाहिए.
दरअसल मंगलवार को शिक्षा विभाग की ओर से एक आदेश जारी किया गया. इस आदेश में बिहार के स्कूलों में बची हुई छुट्टियां यानी सितंबर से लेकर दिसंबर तक को लेकर नया कैलेंडर जारी किया गया है. जिसमें विभिन्न पर्व त्योहारों में स्कूलों की छुट्टियों में कटौती की गई है. पहले स्कूलों में 23 छुट्टियां थीं, जिसे कम कर 11 कर दिया गया है.
हालांकि यहां यह समझना जरूरी है कि क्या शिक्षा विभाग ने सचमुच बिहार में दुर्गापूजा और दिवाली और छठ जैसे महत्वपूर्ण पर्व त्योहारों पर छुट्टियों को रद्द किया है. तो हम आपको बता दें कि सिर्फ रक्षाबंधन और जन्माष्टी की छुट्टियां कैंसिल की गई है. दूर्गापूजा में पहले 6 दिन की छुट्टी दी गई थी, जिसे कम कर 3 दिन की गई है. वहीं दिवाली और छठ में 9 दिन की छुट्टी थी, जिसमें कटौती कर 4 दिया किया गया है.
बिहार के स्कूलों में छुट्टियों में कटौती को लेकर बिहार शिक्षा विभाग की अपनी दलील है. शिक्षा विभाग की माने तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों (कक्षा 1-5) में कम से कम 200 दिन माध्यमिक स्कूलों (कक्षा 6-8) में 220 दिन कि पढ़ाई का प्रावधान (कार्य दिवस) होना जरूरी है.
वही छुट्टियों में कटौती करने के शिक्षा विभाग के आदेश पर शिक्षकों ने नाराजगी जताई है. टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक ने कहा जो हवाला दिया जा रहा है कि 220 दिन विद्यालयों का संचालन किया जाना है, तो अभी के समय 253 दिन विद्यालयों का संचालन हो रहा है. जिस प्रकार हिंदुओं के प्रमुख आस्था के पर्व छठ दीपावली और दशहरा के दौरान छुट्टियों में कटौती की गई है. इसे हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले शिक्षक आक्रोशित हैं.
”नीतीश कुमार जो महिलाओं के हितैसी होने का दावा करते हैं और 50 फीसदी आरक्षण की बात करते हैं, उनके ही सरकार में महिलाओं के प्रमुख व्रत रक्षाबंधन, हरतालिका तीज, जिउतिया, भाई दूज जैसे पर्व त्यौहार की छुट्टियां रद्द कर दी गई है. छठ में सिर्फ दो दिन का छुट्टी दी जा रही है, इससे शिक्षकों में काफी नाराजगी है. सरकार का यह फैसला बिहार शिक्षा अधिकारी अधिनियम और शिक्षा के अधिकार कानून का भी उल्लंघन है.” – राजू सिंह, प्रदेश संयोजक, टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ