पटना: पिछले एक साल से बिहार में महागठबंधन की सरकार है. सरकार गठन के बाद से किसी न किसी मुद्दे को लेकर सरकार के अंदर विवाद उत्पन्न होता रहा है. ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभागीय अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच भी खूब तल्खी देखने को मिली थी. जिसके बाद मंत्री के आप्त सचिव की विभाग में एंट्री पर रोक लगा दी गई थी. जिसको लेकर खूब बखेड़ा खड़ा हुआ था. मामला लालू यादव के पास भी गया था.
दरअसल, तमाम मंत्री निजी स्तर पर भी आप्त सचिव की नियुक्ति करते हैं. आरजेडी कोटे के मंत्री आप सचिव के वजह से सुर्खियों में थे. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के साथ विभागीय बैठक में उनके रिश्तेदार बैठे थे तो खूब बवाल खड़ा हुआ था. वहीं शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव को लेकर भी खूब बखेड़ा खड़ा हुआ था. विभाग के अपर मुख्य सचिव ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव कृष्णानंद यादव के सचिवालय में एंट्री पर रोक लगा दी थी. बाद में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने भी विभाग जाना बंद कर दिया था. तेजस्वी यादव के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के आप्त सचिव संजय यादव हैं. संजय यादव भी सरकारी बैठकों में अग्रिम पंक्ति में बैठे कई बार देखे गए हैं. हाल में ही आप्त सचिव की भूमिका को सरकार ने सीमा तय कर दिया है. बिहार सरकार के मुख्य सचिव की ओर से पत्र जारी किया गया है, जिसमें कहा गया कि आप्त सचिव को दो कैटेगरी में रखा जाएगा. एक सरकारी आप्त सचिव और दूसरे बाह्य आप्त सचिव होंगे. दोनों के कार्यों का बंटवारा भी कर दिया गया है.
अब बाह्य आप्त सचिव के लिए सीमा तय कर दी गई है. वह सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे. उनका जिम्मा अब मंत्री की सुरक्षा और लोगों के साथ समन्वय स्थापित करने का होगा. बाह्य आप्त सचिव ना तो सरकारी बैठकों में हिस्सा ले पाएंगे और ना ही पत्राचार कर पाएंगे.
इधर, सरकार के फैसले पर सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी ने आरजेडी और जेडीयू के रिश्तों पर सवाल खड़े किए हैं. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार अपने सहयोगियों को ठिकाने लगाते रहते हैं. भले ही आरजेडी की मदद से वह सरकार चला रहे हों लेकिन आरजेडी कोटे के मंत्रियों का हिसाब-किताब ठीक करते रहते हैं. चंद्रशेखर सिंह के प्राइवेट आप्त सचिव को पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. अब तेजस्वी यादव के आप्त सचिव संजय यादव को भी रास्ता दिखा दिया गया है.
“नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल को कस रहे हैं. आपने देखा होगा कि पहले चंद्रशेखर जी को कसा गया. बैठक में केके पाठक को बैठा दिया गया. उसके बाद खबर आती रहती है कि तेजस्वी यादव के प्राइवेट आप्त सचिव संजय कुमार विभाग की बैठक में रहते हैं तो नीतीश कुमार इन्हीं लोगों के साथ हैं और इन्हीं लोगों को कस रहे हैं”- मिथिलेश तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
वहीं, बीजेपी के आरोपों पर आरजेडी ने पलटवार किया है. प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बीजेपी को यह बताना चाहिए कि जब वह सरकार में थे, तब उनके मंत्रियों के कैसे रिश्ते थे. सरकार नियम के हिसाब से फैसला लेती है. सरकार के फैसले का कोई राजनीतिक मतलब नहीं है. बीजेपी को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए.
“भारतीय जनता पार्टी को बताना चाहिए कि उनके मंत्रियों के साथ किस तरह का व्यवहार हुआ था. दो-दो बार कान पकड़कर सत्ता से बाहर कर दिया गया. उन लोगों को शर्म नहीं आती है. जहां तक इस निर्देश का सवाल है तो भारतीय जनता पार्टी गैर जरूरी बातों का मुद्दा बनाती है. इससे हमें कोई लेना-देना नहीं है”- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी