बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को कहा कि उनका राज्य सरकारी नौकरियों के लिए एक मॉडल बन गया है, क्योंकि किसी भी राज्य ने नीतीश सरकार की तरह रिक्तियों की घोषणा नहीं की है. डिप्टी सीएम तेजस्वी ने राज्य में नौकरी के अवसरों के बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी सरकार आने वाले समय में इस कार्यकाल के दौरान 10 लाख सरकारी नौकरियां देगी.
तेजस्वी ने आगे कहा कि 2020 में, हमारा मुख्य एजेंडा बेरोजगारी था और हमने कहा कि 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिलेगी. हमारी सरकार बनने के बाद से ही हम रिक्तियों की घोषणा कर रहे हैं. हमने राज्य में लगभग 5 लाख सरकारी नौकरियों की घोषणा की है. इससे पहले, 70,000 पुलिसकर्मी बल में शामिल हुए थे. हाल ही में, शिक्षकों के लिए 1,75,000 नौकरियों की घोषणा की गई थी.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए नीतियों की घोषणा करने की भी योजना बना रही है. जिससे क्षेत्र में लगभग 1.4 से 1.5 लाख नौकरियां पैदा होंगी. कुछ दिनों के बाद हम सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति लाने जा रहे हैं, जिसके बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में लगभग 1.4 से 1.5 लाख नौकरियों की घोषणा की जाएगी. बिहार सरकारी नौकरियों के लिए एक मॉडल बन गया है.
हमारे बाद पीएम ने नियुक्ति पत्र बांटना शुरू किया. अच्छी बात यह है कि हम जो एजेंडा लेकर आए थे, आज उस पर चर्चा हो रही है. हम आने वाले समय में इस कार्यकाल के दौरान 10 लाख सरकारी नौकरियां देंगे. किसी भी राज्य ने इतनी बड़ी संख्या में नौकरियों की घोषणा नहीं की है. उन्होंने जाति आधारित जनगणना के बारे में बोलते हुए कहा कि संविधान के अनुसार जाति जनगणना केंद्र सरकार का अधिकार है. डिप्टी सीएम तेजस्वी ने कहा कि हमने इसके लिए सड़क से विधानसभा तक संघर्ष किया. जब मैं विपक्ष का नेता था, तो हमने विधानसभा में एक प्रस्ताव दिया था कि उन्हें (नीतीश कुमार) सभी दलों के लोगों को एक साथ रखना चाहिए और इस बारे में पीएम से बात करनी चाहिए. हम और अधिक मजबूत हुए. जब केंद्र सरकार ने जाति जनगणना के सवाल को नजरअंदाज किया तो हम चिंतित हुए और हम प्रधानमंत्री से मिले. यह एक जाति-आधारित सर्वेक्षण है. संविधान के अनुसार जाति जनगणना केंद्र सरकार का अधिकार है.