समस्तीपुर रेल मंडल ने देश के सात बड़े प्रोजेक्ट को हरी झंडी प्रदान की है, जिसमें समस्तीपुर रेलवे मंडल के वाल्मीकिनगर- गोरखपुर कैंट 107 किलोमीटर दोहरीकरण को भी शामिल किया गया है। इस संबंध में एडीआरएम आलोक कुमार झा ने बताया कि यह योजना बिहार में पश्चिमी चंपारण के करीब सात किलोमीटर व उत्तर प्रदेश में 89.264 किलोमीटर होकर गुजरेगी। इस योजना के तहत गंडक नदी पर 854 मीटर लंबी पुल का निर्माण किया जाना है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के पूर्ण होने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों को उत्तर भारत के राज्यों से कनेक्टिविटी आसान हो जायेगा। उन्होंने कहा कि चूंकि यह रेलवे लाइन नेपाल के कई इलाकों से सट कर गुजरेगी जिससे नेपाल के लोगों को भी इससे फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस कार्य को लेकर सर्वें का काम शुरू होगा। यहां बतादें कि अब गोरखपुर नरकटियागंज रेलवे में उपेक्षित खंड माना जाता था अब इस खंड पर अधिक ट्रेनें होगी।
एडीआरएम ने बताया कि मुजफ्फरपुर-वाल्मीकिनगर 210 किलोमीटर दोहरीकरण का कार्य चल रहा है, जिसमें 86.15 किलोमीटर कार्य हो चुका है। जबकि 121.85 किलोमीटर पर दोहरीकरण का कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर से गोरखपुर कैंट तक संपूर्ण रेलखंड के दोहरीकृत हो जाने पर इस खंड पर रेलगाड़ियों के परिचालय के समय में काफी कमी आएगी। यात्रियों के कीमती समय का भी बचत होगा।
एडीआरएम ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से पूर्वोत्तर कनेक्टिविटी को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए खाद्यान्न उर्वरक, सीमेंट, कोयला, लौह और पत्थर के चिप्स का कारोबार आसान होगा। इससे नौतनवा, रक्सौल, वीरगंज, और जोगबन्नी नेपाल कनेक्टिविटी मिलेगी। साथ ही उत्तर बिहार के जूट, चीनी उद्योग, मक्का और उत्पादों को लाभ मिलेगा।
एडीआरएम ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से असम, त्रिपुरा, उत्तरी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए ट्रेनों और नेपाल से आने-जाने वाले यात्रियों के लिए चलने के समय में 2 से तीन घंटे की बचत होगी। उन्होंने बताया कि नरकटियांगज और गोरखपुर के बीच सबसे उपेक्षित खंड पर अधिक यात्री ट्रेनें चलेगी।