वक्फ संशोधन बिल अब कानून का रूप ले चुका है. 8 अप्रैल 2025 से यह पूरे देश में लागू भी हो गया है. इस बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम कसना है. साल 2013 में कांग्रेस की नेतृत्व वाली सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन करके वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बेलगाम कर दिया था. वक्फ अधिनियम के संशोधन में यह प्रावधान किया गया कि वक्फ बोर्ड को कोई भी अदालत चुनौती नहीं दे सकती है.
देशभर में गरीब मुसलमान, गरीब मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा महिलाओं के बच्चे, शिया और दाऊदी, बोहरा जैसे छोटे मुस्लिम समुदाय कई सालों से वक्फ कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे. इनका आरोप है कि वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों पर आम मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं है. वक्फ बोर्ड पर अब चंद प्रभावशाली और रसूखदार लोगों का कब्जा है. वक्फ की संपत्तियों से कितना राजस्व आता है, इसका कोई पारदर्शी हिसाब नहीं दिया जाता. इसके अलावा गरीब मुसलमानों को कोई जानकारी नहीं दी जाती कि इस पैसे का उपयोग कहां हो रहा है.
वक्फ कानून बनाने के पीछे का मुख्य कारण
वक्फ बोर्ड की मनमानियों पर नकेल कसने के लिए वक्फ अधिनियम 2025 अस्तित्व में आ चुका है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वक्फ बोर्ड अपने वास्तविक उद्देश्य से भटक गया था और कानून में मिले असीमित अधिकारों का दुरुपयोग करने लगा. ऐसे मामले सामने आए, जिसमें गांव के गांव और सैकड़ों साल पुराने मंदिरों को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया. वक्फ कानून 1995 की कमियों को दूर करने के लिए वक्फ अधिनियम 2025 लाया गया है.
राजद का विरोध तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा!
वक्फ कानून बनने से पहले और बनने के बाद भी देश के कई कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन और कुछ राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चीफ लालू यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत पार्टी के कई नेता वक्फ कानून के खिलाफ लगातार राज्य में प्रदर्शन कर रहे हैं. वक्फ कानून के खिलाफ शनिवार (3 मई 2004) को मधेपुरा में राजद विधायक प्रो. चंद्रशेखर, सीपीआई नेता प्रमोद प्रभाकर ने आक्रोश मार्च निकाला. विधानसभा सत्र 2025 के दौरान भी राजद ने इस कानून के खिलाफ जमकर हंगामा किया था. इसके अलावा राजद नेताओं ने कई जगहों पर वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया. आईए जानते हैं कि राजद ने कहां-कहां और कब-कब किया प्रदर्शन?
1. बिहार विधानसभा में विरोध: राजद और वामपंथी दलों के विधायकों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जोरदार हंगामा किया. उन्होंने सदन के अंदर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला.
2. पटना में धरना: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने 26 मार्च को वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में धरना प्रदर्शन किया, जिसमें राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हिस्सा लिया.
3. राजद ने दायर की याचिका: राजद सांसद मनोज कुमार झा और अन्य नेताओं ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका में अधिनियम को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों का हनन बताया गया.
4. गुलबर्गा में रैली: 23 अप्रैल को राजद समर्थित संगठनों ने कर्नाटक के गुलबर्गा में वक्फ एक्ट के खिलाफ रैली और धरना आयोजित किया.
तेजस्वी यादव का बयान
राजद नेती तेजस्वी यादव ने वक्फ कानून के खिलाफ कई तीखे बयान दिए है. उन्होंने इसे असंवैधानिक करार दिया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता से संबंधित है, हम इस विधेयक को बिहार में लागू नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा, ‘भाजपा इस विधेयक के माध्यम से देश को बांटना चाहती है और बेरोजगारी, महंगाई जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है.’ तेजस्वी ने यह भी कहा, अगर हमारी सरकार बनी तो वक्फ संशोधन विधेयक को कूड़ेदान में फेंक देंगे.’
विरोध की असल वजह?
इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. जिसे लेकर विपक्ष राज्य सरकार को अलग-अलग मुद्दों में घेर रही है, जिसमें सबसे बड़ा मुद्दा वक्फ का है. बिहार मुस्लिम बहुल राज्य है. बिहार सेंसस 2023 के अनुसार मुस्लिमों की जनसंख्या लगभग 2.31 करोड़ है, जो राजनीतिक तौर पर काफी अहम माने जाते हैं. राज्य में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 48 सीटो पर मुस्लिम वोटरों का रोल काफी महत्वपूर्ण है. इसे देखते हुए मुस्लिम समुदाय बिहार चुनाव में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं.
वक्फ कानून के खिलाफ ज्यादातर मुसलमान इसके विरोध में हैं, इसके समर्थन में राजद नेता तेजस्वी यादव हैं. मुस्लिम वोट की चाहत में राजद तुष्टिकरण कर रहा है. लालू यादव और तेजस्वी यादव इन विरोधी मुस्लिम संगठनों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं. तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा था कि वे मुस्लिम संगठनों के साथ हैं. यह कोई पहली बार नहीं है कि राजद इस तरह की राजनीति कर रही है बल्कि राजद तो मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए जानी जाती है.
बिहार में वक्फ की संपत्ति कितनी है?
बिहार में वक्फ संपत्तियों का अनुमानित आंकड़ा 29,000 बीघा से अधिक है. जेपीसी रिपोर्ट के अनुसार शिया वक्फ बोर्ड के पास लगभग 5,000 बीघा जमीन और 1,672 परिसंपत्तियां हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास करीब 24,000 बीघा जमीन और 6,480 परिसंपत्तियां हैं. बिहार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अनुसार, यह संपत्ति अरबों रुपए की है. बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, राजधानी पटना सहित राज्य के अन्य शहरों में भी वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं.
कौन-कौन मुस्लिम संगठन हैं जो कर रहे वक्फ का विरोध?
बिहार में राजद के अलावा ऐसे कई ऐसे मुस्लिम संगठन हैं, जो लगातार वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), इमारत-ए-शरिया, फुलवारी शरीफ, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जमात-ए-इस्लामी हिंद, जमीयत अहले हदीस (इंडिया), खानकाह मुजीबिया और रहमानी, तंजीम, सुपौल जिला इकाई और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन हैं.