पिछले एक दशक (2014–2024) में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए हैं. जिनका परिणाम यह है कि राज्य में आतंकवादी घटनाओं में बड़ी कमी आई है. आईए जानते हैं कि सरकार ने बीते दस वर्षों में आतंक पर लगाम कसने के लिए कौन-कौन सी बड़ी कार्रवाइयां की हैं:
आतंक पर लगाम: सरकार के बड़े कदम (2014–2024)
1. अनुच्छेद 370 हटाई गई
5 अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया. जिससे राज्य का संविधानिक विशेषाधिकार समाप्त हुआ और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया. इस कदम का उद्देश्य आतंकवाद के लिए पोषित अलगाववाद को समाप्त करना और क्षेत्र को मुख्यधारा में लाना था.
2. सर्जिकल और एयर स्ट्राइक
2016: उरी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की.
2019: पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. इन कार्रवाइयों ने आतंकवादियों को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगा.
3. आतंकवाद के वित्त पोषण पर लगाम
सरकार ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए, जिसमें संदिग्ध संगठनों की संपत्तियों को जब्त करना और उनके बैंक खातों को फ्रीज करना शामिल है. इसके अलावा कई अलगावसादी संगठनों को प्रतिबंधित भी किया गया.
4. स्थानीय आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई
वर्ष 2019 के बाद से सुरक्षा बलों ने हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के शीर्ष कमांडरों को निष्प्रभावी किया. वर्ष 2024 में केवल 7 स्थानीय युवाओं के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने की सूचना मिली है, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में एक बड़ी गिरावट है.
5. विकास और निवेश को बढ़ावा
सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विकास परियोजनाओं को तेज किया है, जिसमें 2019-20 से 2023-24 के बीच 5,319.35 करोड़ रूपये का निवेश आया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री विकास पैकेज-2015 के तहत 53 परियोजनाएं शुरू की गईं, जिनमें से 32 पूरी या लगभग पूरी होने वाली हैं.
6. आतंकवाद में कमी के आंकड़े
आतंकवादी घटनाएं: 2018 में 228 से घटकर 2023 में 43 हो गईं, जो कि 81% की गिरावट है.
मुठभेड़: 2018 में 189 से घटकर 2023 में 48 हो गईं, जो कि 74% की गिरावट है.
नागरिक मौतें: 2018 में 55 से घटकर 2023 में 13 हो गईं.
सुरक्षाबलों की मौतें: 2018 में 91 से घटकर 2023 में 25 हो गईं.
वर्ष 2014 से 2024 के बीच केंद्र सरकार की सख्त नीतियों और निर्णायक कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में उल्लेखनीय कमी आई है. अनुच्छेद 370 के निरसन, आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध, वित्त पोषण पर रोक, और विकास परियोजनाओं के माध्यम से सरकार ने क्षेत्र में स्थिरता और शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
हालांकि हाल की घटनाएं दर्शाती हैं कि चुनौतियां अभी भी खत्म नहीं हुई हैं. आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं और वे सुरक्षाबलों और पर्यटकों पर हमले करते रहते हैं. सुरक्षाबलों को अभी भी आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखनी होगी और उन्हें नए तरीकों और तकनीकों का उपयोग लगातार करते रहना होगा, जिससे इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया जा सके.