भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या और यहां का राम मंदिर पूरे विश्व में विख्यात है. यह मंदिर नागर शैली में हैं, जिसकी लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. इसमें 392 खंभे, 44 द्वार और 5 मंडप हैं. मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला की मूर्ति स्थापित है. यह तीन मंजिला संरचना है, जिसमें प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है. इस मंदिर के टक्कर का विश्व में कोई दूसरा मंदिर नहीं है. इस मंदिर की भव्यता की जितनी भी विशेषता की जाए, उतनी कम है.
इसके अलावा भी भारत में राम के ऐसे अनेकों मंदिर हैं जो अपनी अनोखी पहचान के लिए जाने जाते हैं. तो आईए आज हम ऐसे ही मंदिरों के बारे जानते हैं कि वो कहां पर स्थित हैं और उनका धार्मिक महत्व क्या है?
जम्मू का रघुनाथ मंदिर
उत्तर भारत के जम्मू में स्थित रघुनाथ मंदिर की गिनती प्रसिद्ध राम मंदिरों में की जाती है. इस मंदिर का निर्माण 1822 से 1860 के बीच हुआ था. मंदिर का निर्माण महाराजा गुलाब सिंह ने शुरू करवाया और इसका पूर्ण निर्माण महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में संपन्न हुआ था. यह राम मंदिर आकर्षक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है, जिसके सर्पिल आकार के खंभों पर सोने की परत चढ़ी हुई है. मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के बाहर हिन्दू देवताओं को समर्पित 7 छोटे ऐतिहासिक मंदिर हैं और रघुनाथ मंदिर में प्रत्येक हिन्दू देवताओं को दर्शाया गया है, जो अन्य मंदिरों के मुकाबले अति दुर्लभ है. मंदिर के आसपास भी कई मंदिर स्थित हैं, जिनका संबंध रामायण काल के देवताओं से बताया जाता है.
अमृतसर का श्रीराम तीर्थ मंदिर
भगवान राम से जुड़ें अनोखे मंदिरों में अमृतसर का श्रीराम तीर्थ मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र है. मान्यता है कि यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम और एक कुटी थी, इसलिए इसे वाल्मीकि तीर्थ मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता है. कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां परित्याग के पश्चात माता-सीता ने शरण ली थी और जुड़वां बच्चों लव-कुश को जन्म दिया था. महर्षि वाल्मीकि ने यहीं लव और कुश को शस्त्र चलाने की शिक्षा दी थी. श्रीराम तीर्थ मंदिर लव-कुश और भगवान राम की सेना के बीच युद्ध का स्थल भी माना जाता है. कहा जाता है कि इसी आश्रम में वाल्मिकी ने 24 हजार छंदों वाला सम्पूर्ण रामायण महाकाव्य लिखा था. इस मंदिर की गणना भारत के सबसे पवित्र राम मंदिरों में से की जाती है.
अयोध्या का कनक भवन मंदिर
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है और इसी अयोध्या में राम जन्मभूमि, रामकोट के उत्तर-पूर्व में स्थित कनक भवन अयोध्या के बेहतरीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि अयोध्या नरेश दशरथ के आग्रह पर देवशिल्पी विश्वकर्मा ने अयोध्या में अति सुंदर कनक भवन बनाया था, जिसमें असंख्य दुर्लभ रत्न जड़े हुए थे. महारानी कैकेयी द्वारा यह भवन श्रीराम से विवाह के तुरंत बाद देवी सीता को उपहार स्वरूप दिया गया था. यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल था, जो माता कैकेयी द्वारा अपनी बहू सीता को मुंह-दिखाई में सौंपा गया था. विवाह के बाद राम-सीता इसी भवन में रहने लगे थे. कहा गया है कि राम और सीता की मूर्तियों के स्वर्ण अलंकरण और स्वर्ण सिंहासन के कारण इस मंदिर का नाम कनक पड़ा था.
सतना का रामवन
मध्य प्रदेश के सतना में रामवन राम के विशेष स्थानों में से एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थान भगवान राम के वनवास के दौरान उनके विश्राम स्थलों में था. वनगमन के दौरान राम अत्रि ऋषि के आश्रम से सतना पहुंचे थे, यहां वे अलग-अलग ऋषियों के आश्रम में गए और वहां से उन्होंने सीता और लक्ष्मण के साथ दण्डकारण्य की ओर प्रस्थान किया था. रामवन में कई मंदिर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को समर्पित हैं और उनका वनवास की कहानियों से लिंक है. इन मंदिरों में की जाने वाली पूजा और धार्मिक अनुष्ठान भारतीय धर्म और संस्कृति की गहरी झलक दिखाते हैं.
ओरछा का राम राजा मंदिर
मध्य प्रदेश के ओरछा नगर में स्थित राम राजा मंदिर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है. मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, शिवरात्रि, रामनवमी, कार्तिक पूर्णिमा और विवाह पंचमी जैसे विशेष हिन्दू त्योहारों के दौरान यहां आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में होती है. यह भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान राम की पूजा भगवान के बजाय एक राजा के रूप में होती है और वह भी एक महल में. यहां हर दिन भगवान राम को सशस्त्र सलामी दी जाती है और पुलिसकर्मियों को मंदिर में राजा राम के गार्ड के रूप में नियुक्त किया जाता है.
चित्रकूट धाम
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित चित्रकूट धाम भगवान राम से जुड़ा एक पवित्र और आध्यात्मिक तीर्थ स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक महत्व और आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध है. इसे भगवान राम के वनवास का मुख्य स्थान कहा जाता है, इसीलिए यह स्थान हिन्दुओं में विशेष पूजनीय है. चित्रकूट भगवान राम की कर्म भूमि है. भगवान राम ने वनवास के ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताये थे. इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने भी ध्यान लगाया था.
नासिक का कालाराम मंदिर
महाराष्ट्र में नासिक शहर के पंचवटी क्षेत्र में स्थित कालाराम मंदिर पश्चिमी भारत में भगवान राम के अत्याधुनिक मंदिरों में से एक है. कहा जाता है कि यहां भगवान राम अज्ञातवास के दौरान रहे थे. इस मंदिर को 1782 में सरदार रंगराव ओढ़ेकर ने एक पुराने लकड़ी के मंदिर के स्थान पर निर्मित करवाया था. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण कार्य लगभग बारह वर्षों तक चला और इस कार्य में प्रतिदिन 2000 लोग काम करते थे. मंदिर में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की करीब 2 फुट ऊंची काले पत्थर की खड़ी प्रतिमाएं स्थित हैं. भगवान राम की काली प्रतिमा की वजह से ही इस मंदिर को कालाराम मंदिर नाम दिया गया. रामायण महाकाव्य के अनुसार श्रीराम वनवास के 10वें वर्ष के बाद लक्ष्मण और सीता के साथ नासिक के पास गोदावरी के उत्तरी तट पर ढ़ाई साल तक रहे थे. इसी स्थान को पंचवटी के नाम से जाना गया है.
तेलंगाना का सीता रामचन्द्र स्वामी मंदिर (भद्राचलम मंदिर)
तेलंगाना के भद्राद्रि कोठागुडेम जिले के भद्राचलम में स्थित सीता रामचन्द्र स्वामी मंदिर भारत के प्रमुख राम मंदिरों में से एक है. यह मंदिर गोदावरी के तट पर ठीक उसी स्थान पर स्थित है, जहां सीता की खोज में दक्षिण की यात्रा करते समय राम पहुंचे थेच कहा जाता है कि उन्होंने सीता जी को लंका से वापस लाने के लिए यहीं गोदावरी नदी को पार किया था. इस मंदिर के धार्मिक महत्व और यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण यह धार्मिक स्थल के साथ-साथ एक सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है.
मलप्पुरम का श्री रामास्वामी मंदिर
केरल के तिरुवनंतपुरम में मलप्पुरम जिले के तिरुवंगड नामक स्थान पर स्थित श्री रामास्वामी मंदिर भगवान राम लोकप्रिय धार्मिक स्थल में से एक है. इस मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है, जिसका निर्माण चोल वंश के राजा भास्कर रवि वर्मा द्वारा करवाया था. इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की पूजा होती है, जिन्हें यहां श्री रामास्वामी कहा जाता है. मंदिर की विशेषता इसके शैलीबद्ध गोपुरम और काव्य द्वारा सजीव मूर्तिकला में विद्यमान है.
चिकमंगलूर का कोदंडा रामास्वामी मंदिर
कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर में भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम को समर्पित ‘कोदंडा रामास्वामी मंदिर’ तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है. इस विशेष प्रतिष्ठित हिन्दू मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की आदमकद मूर्तियां स्थापित हैं. इन भव्य मूर्तियों की महत्वपूर्ण बात यह है कि ये मूर्तियां एक ही चट्टान से गढ़ी गई हैं और उनके आभूषणों सहित प्रत्येक विशेषता को बड़ी कुशलता और मेहनत से पत्थर में तराशा गया है. नृत्य मुद्रा में भगवान गणेश की एक मूर्ति भी मंडपम की शोभा को बढ़ाती है. इस मंदिर के निर्माण में होयसल और द्रविड़ शैली का अद्भुत समायोजन देखने को मिलता है. यह भारत का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां सीता जी भगवान राम के दायीं ओर तथा लक्ष्मण जी बायीं ओर खड़े हैं.
केरल के त्रिशूर का श्री राम मंदिर
केरल में त्रिशूर जिले के दक्षिण-पश्चिमी शहर त्रिप्रयार में त्रिपारा नदी के तट पर स्थित श्री राम मंदिर में स्थापित मूर्ति का अनोखा इतिहास है. यह मंदिर कोडुंगल्लूर शहर से लगभग 15 किलोमीटर और त्रिशूर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु के ही अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं त्रिप्रयार में इस मंदिर में स्थापित मूर्ति की पूजा की थी. बताया जाता है कि इस मूर्ति को केरल के चेट्टुवा जिले के एक मछुआरे ने बनाया था और समुद्र में डुबो दिया था, जिसे बाद में सम्राट वक्कायिल कैमल ने त्रिप्रयार मंदिर में रख दिया था. इस आकर्षक मंदिर में अद्वितीय मूर्तियां और लकड़ी की नक्काशी भारत के शीर्ष राम मंदिरों में से एक है.
तमिलनाडु का रामास्वामी मंदिर
तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्थित रामास्वामी मंदिर को देश के सबसे अद्भुद राम मंदिरों में से एक माना जाता है. मंदिर की संरचना अत्यंत मन को भाने वाली है और इस मंदिर में स्थापित भव्य मूर्तियां महाकाव्य रामायण के सभी महत्वपूर्ण प्रसंगों को दर्शाती हैं. यह देश का अकेला ऐसा राम मंदिर है, जिसमें राम, सीता और लक्ष्मण के अलावा भरत और शत्रुघ्न की भी मूर्तियां हैं. कावेरी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर तंजावुर नायक राजा अच्युतप्पा नायक (1560-1614) के शासनकाल के दौरान बनाया गया था और रघुनाथ नायक (1600-34) के शासनकाल के दौरान निर्णाण कार्य पूरा हुआ था.