चैती छठ उत्तर भारत की महान लोक परंपरा और श्रद्धा से जुड़ा एक विशेष पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तक, चार दिनों तक मनाया जाता है. मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह पर्व बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस बार चैती छठ आज यानी 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है.
मान्यता है कि भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर और व्रत के नियमों का पालन कर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. तो आइए जानते हैं चैती छठ पूजा 2025 की प्रमुख तिथियां और महत्व…
चैती छठ पूजा 2025: तिथियां और महत्व
1 अप्रैल: नहाय खाय
चैती छठ की शुरुआत ‘नहाय खाय’ से होती है. इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करते हैं. फिर शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं जिसमें विशेष रूप से कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल शामिल होता है. यही भोजन पूरे परिवार के लिए प्रसाद रूप में भी होता है.
2 अप्रैल: खरना
दूसरे दिन को ‘खरना’ कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्य पूजा के बाद गुड़ की खीर, रोटी और फल से उपवास तोड़ते हैं. इसी भोजन को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. इसके साथ ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होता है.
3 अप्रैल 2025: संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन व्रती सांझ के समय सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को पहला अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस अवसर पर ठेकुआ, फल, गन्ना, दीपक और अन्य पारंपरिक सामग्री से सूर्य की पूजा की जाती है.
4 अप्रैल: उषा अर्घ्य
चौथे दिन उषा अर्घ्य का आयोजन होता है. उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं. इसी के साथ चार दिनों की कठिन तपस्या और उपवास समाप्त होता है. इस दिन वातावरण भक्तिमय हो जाता है, और श्रद्धालु जन आशीर्वाद और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.