बिहार के नालंदा जिले में स्थित तेतरावां गांव में होली मनाने की एक अनोखी परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है. यहां के लोग पहले भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ होली खेलते हैं, फिर आपस में रंग-गुलाल लगाते हैं.
भगवान बुद्ध के साथ होली की परंपरा
यह गांव बिहारशरीफ से 10 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां मौजूद 7.5 फीट ऊंची बुद्ध प्रतिमा को स्थानीय लोग बाबा भैरव के रूप में पूजते हैं. पहले भगवान बुद्ध की प्रतिमा को मीठे रवे और देसी घी का लेप लगाकर साफ किया जाता है, फिर सफेद चादर चढ़ाई जाती है. इसके बाद गांव के लोग रंग और अबीर लगाकर भगवान के साथ होली खेलते हैं.
बौद्ध काल से चली आ रही परंपरा
इतिहासकारों के अनुसार, पाल वंश के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय में मूर्ति कला की शिक्षा दी जाती थी. इस गांव में भी मूर्ति निर्माण की परंपरा थी. बुद्ध की यह प्रतिमा उसी दौर की मानी जाती है.
पहले यहां देश-विदेश से बौद्ध श्रद्धालु आते थे, लेकिन अब उनकी संख्या घट गई है. स्थानीय लोग इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं.
गांव के लोग होली के बाद भगवान बुद्ध से सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना करते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखे हुए है।