बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक ऐसा नाम है, जिसने अपने समाजवादी विचारों और प्रशासनिक कौशल से एक अलग पहचान बनाई. वे अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में राम मनोहर लोहिया, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के साथ जुड़े रहे. 1974 से 1977 के बीच उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और जनता पार्टी के साथ राजनीति में प्रवेश किया.
बिजली विभाग की नौकरी ठुकराई
नीतीश कुमार को बिहार के बिजली विभाग में नौकरी का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर राजनीतिक करियर को प्राथमिकता दी. यह निर्णय उनकी प्रतिबद्धता और समाजवादी विचारधारा की ओर झुकाव को दर्शाता है.
पहली जीत के साथ राजनीतिक में एंट्री
1985 में उन्होंने हरनौत विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने. 1989 में उन्होंने लालू प्रसाद यादव को बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में समर्थन दिया. लेकिन बाद में, 1996 में बाढ़ लोकसभा सीट जीतने के बाद वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के करीब आ गए और अपनी राजनीतिक दिशा बदल ली.
जनता दल से अलगाव और समता पार्टी का गठन
1994 में नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस ने जनता दल से अलग होकर समता पार्टी की स्थापना की. 1997 में लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का गठन किया, जिससे जनता दल कमजोर हो गया. इसके परिणामस्वरूप, शरद यादव और रामविलास पासवान ही जनता दल में प्रमुख नेता बचे थे.
2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने की असफल कोशिश
1999 के लोकसभा चुनावों में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को बड़ी सफलता मिली, जिससे यह उम्मीद बढ़ी कि लालू-राबड़ी शासन का अंत निकट है. 2000 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण सिर्फ सात दिनों में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
केंद्र में प्रभावशाली मंत्री के रूप में कार्यकाल
नीतीश कुमार ने 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया. 2001 से 2004 तक वे रेल मंत्री रहे और अपने कार्यकाल में कई सुधार किए. 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बाढ़ और नालंदा से चुनाव लड़ा, लेकिन बाढ़ की सीट हार गए.
2005 में ऐतिहासिक जीत और मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित होना
नवंबर 2005 में, नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 15 साल पुराने शासन को समाप्त कर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद से उन्होंने बिहार में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था में कई सुधार किए.
समाजवादी राजनीति में एक मजबूत चेहरा
नीतीश कुमार ने विभिन्न राजनीतिक गठबंधनों के बावजूद अपनी लोकप्रियता बनाए रखी. वे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक कुशल प्रशासक और समाजवादी राजनीति के मजबूत स्तंभ के रूप में पहचाने जाते हैं.