दिल्ली विधानसभा में मंगलवार (27 फरवरी) को शराब नीति से संबंधित CAG रिपोर्ट पेश की गई. इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सदन के पटल पर रखा.
इस दौरान विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने इस रिपोर्ट को दबाकर रखा और इसे लेकर जनता में भ्रांतियां फैलाई गईं. उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट AAP सरकार की शराब नीति में हुई अनियमितताओं को उजागर करती है.
CAG रिपोर्ट में हुए कई अहम खुलासे
रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व घाटा हुआ. नीति बनाते समय कमजोर फ्रेमवर्क और अपर्याप्त क्रियान्वयन के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ. रिपोर्ट में बताया गया कि लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में कई नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ. शराब नीति में सुधार और बेहतर नियमन के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. इस समिति ने कई सिफारिशें दी थीं, लेकिन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने इन सिफारिशों को दरकिनार कर दिया.
रिपोर्ट में 2021-22 की आबकारी नीति से सरकार को 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का दावा किया गया है. रिपोर्ट में नियमों की अनदेखी, गलत लाइसेंसिंग, और पारदर्शिता की कमी को इसके मुख्य कारणों में बताया गया है.
शराब की दुकानें खोलने के लिए “नॉन-कंफर्मिंग म्यूनिसिपल वार्ड्स” में समय पर अनुमति नहीं ली गई. नॉन-कंफर्मिंग क्षेत्र वे होते हैं जो भूमि उपयोग मानदंडों के अनुरूप नहीं होते, फिर भी वहां शराब की दुकानें खोलने की योजना बनाई गई थी. इसमें हुई देरी और गड़बड़ियों की वजह से आबकारी विभाग को लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इन दुकानों के लाइसेंस रद्द होने के बाद नए टेंडर जारी करने में भी देरी हुई, जिससे राजस्व घाटा और बढ़ गया. कोविड महामारी के दौरान लाइसेंसधारियों को सरकार की ओर से दी गई छूट के कारण 144 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ.
क्या होती है कैग रिपोर्ट?
कैग की फुल फॉर्म होती है Comptroller and Auditor General of India यानि भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक. यह केंद्र सरकार की एक एजेंसी है. जो सरकारी खर्चे की जांच-पड़ताल करती है.. इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत किया गया है और इस एजेंसी के प्रमुख की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं.