पटना: बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर उन्हें बिहार में बाढ़ नियंत्रण से संबंधित 6650.33 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी देने का अनुरोध किया। इस दौरान जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा जल संसाधन संबंधी स्थाई संसदीय समिति के सदस्य संजय कुमार झा भी मौजूद थे।
विजय कुमार चौधरी ने वित्त मंत्री को सौंपे पत्र में कहा कि 2024-25 के बजट भाषण में आपके द्वारा यह घोषणा की गई थी कि “बिहार हमेशा देश के बाहर से आने वाली नदियों की बाढ़ से अत्यधिक प्रभावित होता रहा है और नेपाल भाग में बाढ़ नियंत्रण से संबंधित संरचनाओं के निर्माण में कोई प्रगति नहीं हो पाई है। इस परिप्रेक्ष्य में बाढ़ नियंत्रण एवं सिंचाई हेतु त्वरित लाभ सिंचाई योजना (एआईबीपी) एवं अन्य संसाधनों से बाढ़ प्रबंधन, बराज निर्माण एवं अन्य सिंचाई परियोजनाओं के लिए केन्द्र सरकार बिहार को 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगी।”
विजय कुमार चौधरी ने अपने पत्र में कहा कि राज्य की आबादी तथा जानमाल को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए पूर्व से निर्मित प्रमुख तटबंधों को प्राथमिकता के आधार पर उच्चीकरण, चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण अति आवश्यक है। इस क्रम में रीवर मैनेजमेंट इन बॉर्डर एरिया के तहत कुल 2147.58 करोड़ रुपये की तथा बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत कुल 4502.75 करोड़ रुपये की योजनाओं के डीपीआर जल शक्ति मंत्रालय में समर्पित किए जा चुके है।
उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से बजट भाषण में घोषित 11500 करोड़ रुपये की राशि के तहत प्रथम चरण में बाढ़ नियंत्रण से संबंधित कुल 6650.33 करोड़ की प्रस्तावित योजनाओं की अविलम्ब स्वीकृति के लिए संबंधित प्राधिकार को आवश्यक निदेश देने का अनुरोध किया, ताकि ससमय इन योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा सके।
बिहार में इस वर्ष आई ऐतिहासिक बाढ़ का उल्लेख करते हुए जल संसाधन मंत्री ने कहा कि 27 सितंबर से 30 सितंबर 2024 के बीच पूरे नेपाल में अभूतपूर्व बारिश के कारण वहां से आने वाली सभी नदियों यथा गंडक, बागमती, कोशी, महानंदा आदि के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई और उच्चतम जल स्तर के सारे रिकार्ड टूट गए।
कोशी एवं गंडक में तो अनेक स्थानों पर लंबी दूरी में तटबंधों के ऊपर से बाढ़ का पानी बह गया। पहली बार यह अनुभव हुआ कि इन नदियों पर पूर्व से निर्मित तटबंध प्रणाली अब पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह गई है। इसके दो प्रमुख कारण है- पहला जलवायु परिवर्तन के कारण नेपाल में अधिक वर्षा एवं वहां से आने वाली नदियों से अत्यधिक जलश्राव एवं दूसरा इन नदियों में लगातार जमा हो रहे गाद के कारण नदी तल ऊंचा होने से इनकी जल संग्रहन क्षमता में ह्रास। बाढ़ अवधि में जल का फैलाव अधिक होता है। आने वाले समय में इस स्थिति के और भी बदत्तर होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार