निवाड़ी/भोपाल: बुंदेलखंड की अयोध्या कही जाने वाली मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित ऐतिहासिक नगरी ओरछा इन दिनों भगवान श्री रामराजा सरकार के विवाहोत्सव के उल्लास में डूबी हुई है. शुक्रवार देर शाम कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने सपत्नीक दूल्हे सरकार की पूजा की. इसके बाद बारात को श्री रामराजा मंदिर से जनकपुरी के लिए रवाना किया गया. इस दौरान मंत्री प्रहलाद पटेल, प्रभारी मंत्री नारायण कुशवाहा, विधायक अनिल जैन मौजूद थे. रामराजा की बारात राजसी बुंदेली ठाठ-बाट और गाजे-बाजे के साथ शहर से होते देर रात जनकपुरी पहुंची.
रामराजा सरकार की बारात जब मन्दिर से बाहर निकली तो हर तरफ राम सिया के जयघोष हो रहे थे. हर कोई दूल्हा बने रामराजा सरकार की एक झलक पाने के लिए आतुर दिखा. पहले दिन गणेश पूजन के बाद राजसी अंदाज में प्रतिभोज का आयोजन किया गया था जिसमें भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. शुक्रवार को जगह-जगह बुंदेली विवाह गीतों के गायन के साथ श्री रामराजा सरकार दूल्हा बनकर देर रात जनकपुरी पहुंची, जहां रात में भगवान रामराजा सरकार का माता जानकी के साथ बुंदेली परम्पराओं और राजसी वैभव के साथ विवाह संपन्न होगा. विवाहोत्सव में सभी रस्में अदा करने के बाद शनिवार, 7 दिसंबर को सुबह कुंवर कलेवा के साथ विवाह महोत्सव का समापन होगा.
500 पुरानी है परंपरा
रामराजा की नगरी ओरछा एक ऐसी जगह है, जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का सम्बन्ध है. इसलिए ओरछा के परिकोटा के अन्दर सिर्फ रामराजा को ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. ओरछा की सीमा के अन्दर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री समेत कोई भी अति विशिष्ट व्यक्ति गार्ड ऑफ ऑनर नहीं लेता है. इस तरह की 500 वर्ष पुरानी एक नहीं, ओरछा में अनेक परंपराएं जीवंत हैं. परंपराओं की इसी शृंखला में प्रतिवर्ष रामराजा विवाह की वर्षगांठ का तीन दिवसीय आयोजन ठेठ बुन्देली राजसी अंदाज में मनाया जाता है.
खजूर की पत्तियों का मुकुट पहनाते हैं
बारात में दूल्हा के रूप में विराजमान रामराजा सरकार की प्रतिमा को पालकी में बैठाया जाता है. उनके सिर पर सोने का मुकुट नहीं, बल्कि आघम बुन्देली दूल्हों की तरह खजूर के पेड़ की पत्तियों का मुकुट पहनाया जाता है. पालकी के एक ओर छत्र तथा दूसरी ओर चंवर को देखकर सैकड़ों वर्ष पुराने बुन्देली राजसी वैभव की याद ताजा हो जाती है. पालकी के आगे बुन्देली अंदाज में मशालीची मशाल लेकर चलते हैं. नगर भम्रण के बाद बारात रामराजा की ससुराल विशम्भर मंदिर (जानकी मंदिर) पहुंचती है.
बुंदेली गीतों से गूंज उठती हैं गलियां
जहां बारातियों के भव्य स्वागत के साथ द्वारचार की रस्म पूरी होती है. इस दौरान नगर की गली-गली बुन्देली वैवाहिक गीतों से गूंज उठती है. इस तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन गणेश पूजन, दूसरे दिन मण्डप व प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्षभर ओरछा के लोग अपने राजा को अपने यहां वैवाहिक समारोह व प्रीतिभोज में आमंत्रित कर प्रीतिभोज देते हैं, लेकिन वर्ष में एक बार रामराजा सरकार के यहां प्रीतिभोज कार्यक्रम में 50 हजार लोग भाग लेते हैं और भगवान का प्रसाद ग्रहण करते हैं, वहीं साल में एक दिन राजा अपनी प्रजा का हालचाल जानने मंदिर के बाहर आते हैं. इस दौरान भक्त अपने राजा का घरों के बाहर खड़े होकर राजतिलक करते हैं. इसमें देशी व विदेशी सैलानी भी आते हैं. ढोल-नगाड़े, ताशे-बाजे के बीच अनोखी बारात में पूरे नगर को दूधिया रोशनी से नहलाया जाता है.
निवाड़ी पुलिस अधीक्षक राय सिंह नरवरिया ने बताया कि राम बारात को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. बारात व्यवस्था में भी 100 पुलिस के जवान तैनात थे.
एक लाख दीपों से जगमगाई ओरछा नगरी
ओरछा धाम में श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव में एक लाख दीपों से पूरे नगर को जगमग किया गया है.
हिन्दुस्थान समाचार